जब महादेवी वर्मा ने कहा- फ़िराक़ औघड़ स्वभाव के हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी की बातों या उनके विचारों को जब तक पानी की तरह छानकर न ग्रहण किया जाए, ख़तरे की संभावना बनी रहती है। ऐसा इसलिए नहीं कि उनकी बातों या विचारों में ख़तरे के कीटाणु छिपे होते थे, बल्कि इसलिए कि फ़िराक़ अक्सर दरमियानी मंजिलों को छोड़कर आखिरी मंजिल की उन ऊँचाइयों से बोलते … Continue reading जब महादेवी वर्मा ने कहा- फ़िराक़ औघड़ स्वभाव के हैं
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