आजादी के दीवाने शिवराम हरि राजगुरु

राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था। उनका जन्म सावन महीने में सोमवार को हुआ, इसलिए उनका नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया।

महज 6 साल की उम्र में उनकी मां का निधन हो गया। संस्कृत ग्रंथों में उनकी गहरी रुचि थी, जबकि उनके भाई चाहते थे कि वे अंग्रेजी सीखें।

कक्षा तीन में उनके भाषण से प्रभावित होकर लोकमान्य तिलक ने उन्हें माला पहनाई। वह अंग्रेजी भाषा के खिलाफ थे और किसी भी कीमत पर अंग्रेजी हुकूमत के लिए काम नहीं करना चाहते थे।

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अंग्रेजी सीखने को लेकर उनके भाई से विवाद हुआ, जिसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया। अपनी भाभी का आशीर्वाद लेकर घर से निकले और नासिक पहुंचे।

नासिक में उनकी मुलाकात चंद्रशेखर आजाद और अन्य क्रांतिकारियों से हुई, जिससे वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हो गए।

ब्रिटिश सरकार के असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट जॉन सॉन्डर्स की हत्या में उनका प्रमुख योगदान रहा। इसके अलावा असेंबली में बम फेंकने के मामले में भी वह भगत सिंह और सुखदेव के साथ शामिल थे।

23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह और सुखदेव के साथ उन्हें फांसी दी गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष थी।