जिन्ना के साथी और पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल की कहानी

 विभाजन से पहले, जोगेंद्र नाथ मंडल पूर्वी बंगाल के सबसे बड़े दलित नेता माने जाते थे।

1937 में बाकरगंज क्षेत्र से चुनाव जीतकर बंगाल प्रांतीय असेंबली में कदम रखा।

मंडल ने अखिल भारतीय शिड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन की स्थापना की मंडल ने बंगाल में इस संगठन की स्थापना की, जिसका नेतृत्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर करते थे।

 मंडल की कोशिशों से आंबेडकर को बंगाल से संविधान सभा के लिए चुना गया था।

1946 के डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान मंडल ने दलितों को मुसलमानों के साथ एकजुट करने का प्रयास किया।

 विभाजन से पहले 1946 में मंडल अंतरिम सरकार में मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि बने।

 मंडल का मानना था कि दलितों के हित जिन्ना के पाकिस्तान में नेहरू और गांधी के भारत से बेहतर सुरक्षित होंगे।

 विभाजन के बाद, 1947 में मंडल को पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

 1948 में जिन्ना की मृत्यु के बाद, मंडल को पाकिस्तान की राजनीति में हाशिए पर धकेल दिया गया।

5 अक्टूबर 1968 को कलकत्ता में मंडल की गुमनामी की स्थिति में मृत्यु हो गई, और कोई भी सरकारी प्रतिनिधि उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ।