जब नागपुर झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व किया था सरदार पटेल ने

1923 में महाराष्ट्र के नागपुर जिले में झंडा सत्याग्रह की शुरुआत हुई। असहयोग आंदोलन के बाद का सबसे महत्वपूर्ण जन आंदोलन था।

झंडा सत्याग्रह की शुरुआत जबलपुर नगर निगम से हुई। नगरपालिका ने यूनियन जैक के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रस्ताव पारित किया। जिला मजिस्ट्रेट ने इसे रोकने का आदेश दिया, लेकिन 18 मार्च 1923 को फिर भी ध्वज फहराया गया।

पुलिस ने ध्वज को नीचे खींचकर रौंदा, जिससे जनता में आक्रोश फैल गया। इस अपमानजनक घटना ने जबलपुर और नागपुर में झंडा सत्याग्रह को हवा दी।

जमनालाल बजाज ने 1923 में राष्ट्रीय ध्वज का मुद्दा उठाया और सत्याग्रह का नेतृत्व किया। जमनालाल बजाज की गिरफ्तारी के बाद पटेल ने आंदोलन की कमान संभाली।

सरदार पटेल ने गुजरात से स्वयंसेवकों को भेजकर सत्याग्रह को अखिल भारतीय आंदोलन बनाने में मदद की।

सत्याग्रहियों ने नागपुर में जुलूस, मार्च और सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की गतिविधियां कीं। 18 अगस्त 1923 को सरदार पटेल के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने सिविल लाइंस से बिना रोके मार्च किया।

सरदार पटेल ने घोषणा की कि ध्वज का सम्मान सुरक्षित हो गया और लोगों के अहिंसक विरोध का अधिकार साबित हो गया। सत्याग्रह सफलतापूर्वक अपने उद्देश्य को पूरा करके समाप्त हो गया।