क्यों हुई थी  पंडित  नेहरू और मौलाना आजाद के बीच अनबन ?

पंडित नेहरू और मौलाना आजाद बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन पंजाब में यूनियनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन पर दोनों के बीच मतभेद उभर आए।

मौलाना आजाद ने कांग्रेस का समर्थन यूनियनिस्ट पार्टी को दिया, ताकि कांग्रेस अल्पमत में रहते हुए भी प्रभावी भूमिका निभा सके। गांधीजी ने भी इस निर्णय का समर्थन किया।

पंडित नेहरू का मानना था कि कांग्रेस को मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करना चाहिए था, क्योंकि वह एक जन-संगठन था। उन्होंने यूनियनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन को गलत ठहराया।

पंडित  नेहरू को लगा कि मौलाना आजाद ने यूनियनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन कर सिद्धांतों का त्याग किया, जिससे उनके मन में असहमति बढ़ी।

पंडित नेहरू ने बाद में मौलाना आजाद से मुलाकात कर बताया कि उनकी आलोचना का उद्देश्य सिर्फ आजाद की मदद करना था, और उनके नेतृत्व में कोई अविश्वास नहीं था।

पंडित नेहरू ने मौलाना आजाद को यकीन दिलाया कि वह उनके सच्चे मित्र हैं, और दोनों ने इस घटना को भुलाकर अपने संबंध पहले जैसे बनाए रखे।