जब मुगल बादशाह अकबर पटना आए थे
आइन-ए-अकबरी में 4 अगस्त, 1574 को अकबर के पटना आने का जिक्र मिलता है
सूरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी, दाऊद ख़ान के विद्रोही कर दिया था
अकबर ने मुनीम ख़ान को पटना भेजा पर सफलता नहीं मिली तब अकबर को स्वयं पटना आना पड़ा।
अकबरनामा में लिखा है, 'आश्चर्यजनक दृश्य। नदी की तेज़ धारा, बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक, अजीब नज़ारा पेश कर रहे थे।'
पटना किला से भेजी जा रही मदद को भी बीच में ही कब्जे में कर लिया गया और पटना किला का पतन तय हो गया था।
9 अगस्त, 1574 को पश्चिम दरवाज़ा होते हुए शहंशाह अकबर अपने लाव लश्करों के साथ पटना में प्रवेश किया।
इस मौके की याद में पश्चिम दरवाज़ा को नया नाम दिया गया- दिल्ली दरवाज़ा।
अकबर 20 अगस्त तक पटना में रहा। अकबर अकेला मुग़ल बादशाह रहा जो पटना आया था।