'जतिन दा' के नाम से मशहूर जतीन्द्रनाथ दास ने भारत की आज़ादी के लिए जेल में अपने प्राण त्यागे। उनकी शहादत देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है।
जतीन्द्रनाथ दास को महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था, जहाँ उन्होंने देश के प्रति अपनी निष्ठा को साबित किया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में कांग्रेस सेवादल में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो उनके नेतृत्व और संघर्ष की भावना को दर्शाता है।
शचीन्द्रनाथ सान्याल के सम्पर्क में आने के बाद 'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' में जतीन्द्रनाथ दास ने साहसपूर्ण कार्यों से खुद को साबित किया।
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा फेंके गए केन्द्रीय असेम्बली बम को जतीन्द्रनाथ दास ने तैयार किया था, जो उनकी तकनीकी कुशलता और क्रांतिकारी सोच को दर्शाता है।
1929 में उन्हें लाहौर षड़यंत्र केस में गिरफ्तार किया गया, जहां उन्होंने अन्य क्रांतिकारियों के साथ अनशन किया।
63 दिन के अनशन के बाद जतीन्द्रनाथ दास का जेल में निधन हो गया, जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उनकी महान शहादत के रूप में दर्ज है।