गांधीजी की अंतिम कश्मीर यात्रा
गांधी 1 अगस्त 1947 को पहली और आख़िरी बार कश्मीर गए
गांधी श्रीनगर पहुँचे तो जनता ने उनके स्वागत में शहर को ऐसे सजाया कि जैसे दीपावली हो
गांधीजी ने राजा से जनता की इच्छा का सम्मान करने और शेख़ अब्दुल्ला को रिहा करने की माँग की
गांधीजी ने कहा कि केवल जनता के हाथ में यह तय करने की शक्ति होनी चाहिए कि वह किसके साथ जुड़ना चाहती है।
महाराजा हरि सिंह लगातार टाल-मटोल कर रहे थे और भारत या पाकिस्तान से मिलने की जगह आज़ाद डोगरिस्तान का सपना देख रहे थे
गांधी यात्रा का पहला प्रभाव यह हुआ कि जनता के बीच बेहद बदनाम रामचंद्र काक को प्रधानमंत्री पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया।
गांधी की यात्रा का महत्त्व इस तथ्य की वज़ह से भी बढ़ जाता है कि इसी दौरान जिन्ना भी लगातार कश्मीर आने की कोशिश कर रहे थे