जयदेव कपूर, संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के प्रतिनिधि के रूप में फिरोजशाह कोटला की बैठक में शामिल हुए। उन्हें दल की केंद्रीय समिति में चुना गया और एक्शन विभाग का हिस्सा बनाया गया।

बम फेंकने से पहले भगत सिंह ने अपने जूते और घड़ी जयदेव कपूर को सौंपी। भगत सिंह की प्रसिद्ध फेल्ट हैट वाली फोटो भी जयदेव ने ही खिंचवाई थी। यह फोटो 4 अप्रैल 1929 को दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास रामनाथ फोटोग्राफर्स द्वारा ली गई थी।

असेंबली कांड के बाद जयदेव कपूर ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की तस्वीरें रामनाथ फोटोग्राफर्स से लेकर विभिन्न अखबारों के दफ्तरों में भेजने का प्रबंध किया।

13 मई 1929 को जयदेव कपूर सहारनपुर बम फैक्ट्री से गिरफ्तार हुए। पुलिस ने चार जिंदा बम और बम बनाने की मैनुअल किताबें बरामद कीं।

जयदेव कपूर को लाहौर लाया गया, जहां उनकी मुलाकात भूख हड़ताल कर रहे भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त से हुई। जयदेव ने जेल में हो रहे अत्याचारों का विरोध किया और भगत सिंह के साथ हर संघर्ष में शामिल रहे।

अदालत में हथकड़ी पहनाए जाने के विरोध में जयदेव ने पुलिस से लड़ाई की। उनके सूजे हुए माथे और लहूलुहान शरीर के बावजूद उन्होंने एक जोशीला भाषण दिया, जिसमें उन्होंने न्यायधीश से इस्तीफा देने की मांग की।

जयदेव कपूर को आजीवन कारावास की सजा दी गई, जिसे उन्होंने भगत सिंह की फांसी की सजा के सामने अपनी हार समझा। उन्होंने कहा, "सरदार को फांसी और मुझे सिर्फ कालापानी, यह मेरी दूसरी हार थी।"

जेल में जयदेव कपूर की भगत सिंह से आखिरी मुलाकात हुई। भगत सिंह ने अपनी हंसी के साथ कहा कि वह इंकलाब जिंदाबाद की आवाजों को सुनकर संतुष्ट हैं। जयदेव ने अपने जीवन का संघर्ष 19 सितंबर 1994 तक जारी रखा, जब उन्होंने अंतिम सांस ली।