जब रवींद्रनाथ टैगोर ने लौटा दी थी 'नाइट हुड' की उपाधि! 

13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्दोष भारतीयों पर क्रूरता से गोली चलाई गई, जिससे रवींद्रनाथ ठाकुर ने गहरा विरोध जताया।

इस हत्याकांड के विरोध में, रवींद्रनाथ ठाकुर ने भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड को एक पत्र लिखा, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है।

ठाकुर ने लिखा कि पंजाब में बर्बर बल प्रयोग से यह स्पष्ट हो गया है कि ब्रिटिश साम्राज्य के सामने भारतीय लोग कितने कमजोर, लाचार और निहत्थे हैं।

पंजाब में हुई इस क्रूरता ने पूरे भारत के लोगों के दिलों में दुख, गुस्सा और आक्रोश भर दिया, जिसे ब्रिटिश सत्ताधारी नजरअंदाज कर रहे थे।

ठाकुर ने यह भी उल्लेख किया कि अधिकांश एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों ने इस निंदनीय कृत्य की प्रशंसा की, जिससे भारतीय जनता के दर्द का मजाक बना।

इस अत्याचार के विरोध में और अपने देशवासियों के साथ खड़े होने के लिए रवींद्रनाथ ठाकुर ने नाइटहुड की उपाधि को त्यागने का फैसला किया।

ठाकुर ने महसूस किया कि उपाधियां, जो कभी सम्मान का प्रतीक थीं, अब उनके लिए अपमान और अवमानना का चिन्ह बन चुकी थीं।

ठाकुर ने अपने देशवासियों की पीड़ा के प्रति संवेदनशील होकर ब्रिटिश सरकार से नाइटहुड की उपाधि से मुक्त करने की मांग की, ताकि वह स्वाभिमान के साथ अपने लोगों के साथ खड़े हो सकें।