जब त्रिपुरा को पाकिस्तान में शामिल करने की साजिश हुई

15 अक्टूबर 1949 को त्रिपुरा भारत का हिस्सा बना। यह विलय त्रिपुरा के राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य की योजना का हिस्सा था, जिसे उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी महारानी कंचनप्रभा देवी ने पूरा किया।

महाराजा बीर बिक्रम ने 1947 में भारतीय संघ में विलय का फैसला किया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इस प्रक्रिया को पूरा किया।

महाराजा की मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी कंचनप्रभा देवी के नेतृत्व में एक रीजेंसी काउंसिल का गठन किया गया, जिसने त्रिपुरा का प्रशासन संभाला और भारतीय संघ में विलय सुनिश्चित किया।

सरदार पटेल ने त्रिपुरा को भारतीय संघ में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने साजिशों का पर्दाफाश करने के लिए तत्काल कार्रवाई की।

रानी कंचनप्रभा ने सरदार पटेल से मुलाकात की हुई थी। उन्होंने भारत के पक्ष में अपने हितों को सुरक्षित रखने में मदद मांगी।

1 जुलाई 1963 को त्रिपुरा को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला, और 21 जनवरी 1972 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।

आज भी त्रिपुरा के लोग महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य और महारानी कंचनप्रभा देवी का  सम्मान करते हैं।