जब पटेल ने कहा ‘ नेहरू सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं के नायक ‘
[सरदार वल्लभभाई पटेल (1875-1950) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे महत्त्वपूर्ण नेताओं में थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में और बाद
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[सरदार वल्लभभाई पटेल (1875-1950) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे महत्त्वपूर्ण नेताओं में थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में और बाद
आज मणिबेन पटेल का जन्मदिन है। इतिहास उन्हें अक्सर सरदार पटेल की पुत्री के रूप में ही यदाकदा याद करता
कौल-ए-फ़ैसल (इंसाफ़ की बात) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का वह बयान है जो राजद्रोह के मुक़दमे के दौरान उन्होंने प्रेसीडेंसी
[हाल ही में राजपाल एंड संस प्रकाशन से प्रकाशित सुजाता की पुस्तक ‘दुनिया में औरत’ दुनिया भर में औरतों की
परवेज़ अंसारी जब भी हल्दीघाटी के युद्ध की बात होती है तो हम सब महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक
कौन है अधिनायक? : राष्ट्रगान विवाद उज्ज्वल भट्टाचार्य राष्ट्रगान जन गण मन जितना पुराना है, उस पर विवाद भी लगभग
[ जाने-माने इतिहासकार प्रो लालबहादुर वर्मा को पिछले वर्ष हमने कोविड की लहर में खो दिया। उनकी आखिरी किताब ‘आज़ादी
[शनिवार, मार्च 17 के दिन मार्क्स को हाइगेट सेमेट्री की उस क़ब्र में चिर-विश्राम के लिए ले जाया गया जिसमें
6 अप्रैल, 1919 को Rowlatt Act के खिलाफ़ पूरे भारत में विरोध की कॉल दी गई थी। दिल्ली और
यूनान के सिसरो के काल के प्राचीनतम कवियों में से एक हैं। यह गीत उन्होंने अनाज पीसने की पनचक्की के
हालाँकि हर आत्मकथा लेखक के अपने पक्ष से ही लिखी जाती है, लेकिन पूर्वी बंगाल के पहले पूर्वी पाकिस्तान बनने
1 जनवरी 1989, दिल्ली के पास साहिबाबाद। सफ़दर जन नाट्य मंच की अपनी टीम के साथ थे। ‘हल्ला बोल’ होना
जब सारी दुनिया एक जनवरी को नया साल मनाती है तो झारखंड के सीने में 74 साल पुरानी एक टीस
[24 नवंबर, 1881 में झज्जर, हरियाणा के एक छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण जाट परिवार में
फेक फ़ैक्ट एक मैसेज सोशल मीडिआ में चल रहा है कि अब्राहम लिंकन जब भारत आए तो उनकी माँ ने
जेल में 63 दिनों तक अनशन के बाद जतिन दास शहीद हुए तो उनकी उम्र केवल 24 साल थी। ब्रिटिश
ओम थानवी एस. एन. सुब्बराव नहीं रहे। जयपुर में आज उन्होंने आख़िरी साँस ली। गांधीजी के वे चलते-फिरते दूत थे।
साबरमती आश्रम महात्मा गांधी की वह धरोहर है जो हमें उनके मूल्यों और सिद्धांतों की याद दिलाती है। वह
आज़ादी की लड़ाई कोई एक दिन की नहीं है। कंपनी राज की स्थापना के बाद से ही भारतीय जनता ने
हंगामाखेज रहे पिछले कुछ दिन। पहले किसान आंदोलन के बीच एक दलित की बर्बर हत्या और फिर सावरकर को लेकर
[अयोध्या सिंह की किताब ‘भारत का मुक्ति संग्राम‘ ब्रिटिश सत्ता के ख़िलाफ़ भारतीय जनता के संघर्ष का एक शानदार
पुरुषोत्तम अग्रवाल की किताब ‘कौन हैं भारत माता’ जवाहरलाल नेहरू के लेखों और उनके बारे में लिखे गए लेखों का
[यह सन्देश 16 दिसम्बर, 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल से यह सन्देश 16 दिसम्बर, 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल से देशवासियों के
[अंग्रेजी सत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह का बिगुल बजाने वाले आदि क्रांतिकारी तिलका माझी की कहानी] अंग्रेज़ों की लूट और बाबा
[8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली में बम फेंकने के साथ एक पर्चा भी फेंका
[अमृतसर में अप्रैल 1928 में हुए सम्मेलन के लिए तैयार किया गया नौजवान भारत सभा का घोषणा पत्र] नौजवान साथियो,
क्रांतिकारी आंदोलन में भगत सिंह पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने जाति के सवाल पर गंभीरता से बात की थी। उनका