Places of Worship Targeted: A Question Mark on Institutions
Over the past decade, governments led by the Bharatiya Janata Party (BJP) have relentlessly targeted the religious freedom of minority
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Over the past decade, governments led by the Bharatiya Janata Party (BJP) have relentlessly targeted the religious freedom of minority
महात्मा गांधी अप्रैल 1919 से पहले तक अंग्रेज सल्तनत के वफादार के तौर पर जाने जाते थे। लेकिन जलियांवाला बाग
भारत में जारी आम चुनाव के दरमियान अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल
रिचर्ड एटनबरो एक शिक्षक ( कॉलेज प्रिंसिपल) के पुत्र थे। वह अभिनेता भी थे, फ़िल्म निर्देशक भी। उनकी चरम
अकसर ऐसा होता है कि जो इतिहास रचता है, उसका इतिहास में नाम नहीं होता, लेकिन जो इतिहास रचता है
एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने
ग्वालियर से 120 कि०मी० दूरी पर स्थित शिवपुरी किले के कवायत के मैदान में ब्रिटिश टुकड़ियों ने अपने खेमे गाड़
शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स का विरोध किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य
उन्नीसवीं सदी भारत में पुनर्जागरण की सदी मानी जाती है। खासतौर पर महाराष्ट्र और बंगाल में इस दौर में समाज
महात्मा गाँधी ने 1934 में प्रसिद्ध गायक दिलीप राय से बातचीत करते हुए कहा- जीवन समस्त कलाओं से श्रेष्ठ
एम.ए. पास करने के बाद मेरे भविष्य का सवाल भी उठ खड़ा हुआ। मैं सिंध में नहीं रह सकता था।
राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964) भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री और महिलाओं के हित की निरंतर समर्थक थीं।
1916 का पूरा साल गांधी जी ने एक भारतीय किसान-मजदूर की वेश-भूषा में, उनकी ही तरह रेलगाड़ी के तीसरे दर्जे
कौन थी सावरकर की प्रेमिका जिसकी वजह से वह गिरफ़्तार हुए? सुनिए कौन थी सावरकर की रहस्यमयी प्रेमिका और
औरत व आदमी भले ही एक दूसरे के पूरक हों लेकिन उनके स्वभाव में विरोधाभासों की कोई कमी नहीं
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के संघर्ष को रेडियो के नई तकनीक से जोड़ने वाली उषा मेहता अचानक इतिहास के पन्नों से
औपनिवेशिक दौर में भारतीय समाज में कमोबेश हर जातीय-धार्मिक समुदाय में महिलाओं के शिक्षा की एक जैसी ही स्थिति
मौलना आज़ाद खुद को मुस्लिम नेता कहलाना पसंद नहीं था आज़ाद को। आज़ाद बहुत बड़े राष्ट्रवादी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक
राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला की महारानी थीं, पर उन्होंने स्वयं को एक महारानी के तरह ज़ाहिर नहीं किया,
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव। गांधीजी मौलाना आजाद को इस पद पर देखना चाहते थे। आजाद ने जब नाम वापस
आज़ादी की लड़ाई में नेहरू के योगदान को लेकर अक्सर उठते हैं सवाल। उनके योगदान को रेखांकित करने के क्रम
भारतीय इतिहास में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक टंट्या भील की जांबाजी का अमिट अध्याय है। उन्होंने भारत की माटी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में क्रांतिमूर्ति दुर्गावती वोहरा का नाम प्रथम पंक्ति की महिला क्रांतिकारियों में लिया जाता है।
पसमान्दा मुसलमान और उनके दु:ख-दर्द को लेकर अरसे से संघर्ष कर रहे भूतपूर्व सांसद, पत्रकार, लेखक और जुझारू नेता अली
महात्मा गांधी अपने समय के उन व्यक्तियों में से है जो व्यक्तिवाद की सीमाओं के पार जाकर सामूहिकता की चेतना
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान या बादशाह ख़ान उनलोगों में से थे, जो अविभाजित राष्ट्रवाद के साथ ही अविभाजित राष्ट्र
भगत सिंह भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के पहले नेता थे जिन्होंने सांप्रदायिकता के साथ-साथ जाति के मसले पर गंभीर हस्तक्षेप किया।
मंगूराम, जिन्होंने पंजाब में ऐड-धर्म आंदोलन की नींव रखी थी और गदर पार्टी से भी जुड़े हुए थे। उनको लोग
अय्यंकालि उन जाति-विरोधी योद्धाओं में से थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादियों और उनकी सत्ता से समानता का हक़ हासिल करने के लिए
विजयलक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। परंतु, उनकी अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान
“गोदुताई” ठाणे-पालघर क्षेत्र में पुराने वर्ली लोगों के बीच एक प्रसिद्ध नाम है। यह एक उपनाम था, जो प्यार से
आदिवासी परंपराओं में एक फूलो-झानो मात्र नहीं हैं, उनके जैसी कई पुरखिन औरतें और वर्तमान समय में भी उनका निर्वाह
अबाला बोस , रेडियो साइंस के पितामह जगदीशचंद्र बोस की जीवन संगिनी थीं। उन्होंने देश की महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों
भारत की अज़ादी की लड़ाई के दौरान कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने आज़ादी के साथ-साथ सामाजिक आंदोलनों को ज़रूरी
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में हर वर्ग और समुदाय ने अपना योगदान दिया। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में सबने अपनी-अपनी