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Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources

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Saturday March 16, 2024
राजकुमारी अमृत कौर

 स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण क्यों जरूरी है – राजकुमरी अमृत कौर

        राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964) भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री और महिलाओं के हित की निरंतर समर्थक थीं।

Usha Mehta and Sara Ali Khan

उषा मेहता:जिन्होंने रेडियो को आज़ादी का हथियार बनाया

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के संघर्ष को रेडियो के नई तकनीक से जोड़ने वाली  उषा मेहता अचानक इतिहास के पन्नों से

बेगम रुकैया सखावत हुसैन

मुस्लिम स्त्री शिक्षा की अलख जगाने वालीं बेगम रुकैया सखावत हुसैन

  औपनिवेशिक दौर में भारतीय समाज में कमोबेश हर जातीय-धार्मिक समुदाय में महिलाओं के शिक्षा की एक जैसी ही स्थिति

मौलाना आजाद

मौलना आज़ाद और राष्ट्रवाद पर भाषण

मौलना आज़ाद खुद को मुस्लिम नेता कहलाना पसंद नहीं था आज़ाद को।​​ आज़ाद बहुत बड़े राष्ट्रवादी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक

राजकुमारी अमृत कौर

एम्स का गठन करने वाली बापू की ‘मुर्खा’ राजकुमारी अमृत कौर

    राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला की महारानी थीं, पर उन्होंने स्वयं को एक महारानी के तरह ज़ाहिर नहीं किया,

नेहरू, गांधी और बोस

सुभाषचंद्र बोस और पंडित नेहरू में क्यों हुई थी अनबन?

कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव। गांधीजी मौलाना आजाद को इस पद पर देखना चाहते थे। आजाद ने जब नाम वापस

टंट्या भील

टंट्या भील, जिनको पकड़ने के लिए आये थे इंग्लैंड से विशेष दस्ते

भारतीय इतिहास में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक टंट्या भील की जांबाजी का अमिट अध्याय है। उन्होंने भारत की माटी

दुर्गावती वोहरा और भगत सिह

क्रांतिमूर्ति दुर्गा भाभी का क्रांतीकारी जीवन

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में क्रांतिमूर्ति दुर्गावती वोहरा का नाम प्रथम पंक्ति की महिला क्रांतिकारियों में लिया जाता है।

महात्मा गांधी

गांधीजी ने क्यों कहा था, मैं हिन्दू क्यों हूँ ?

महात्मा गांधी अपने समय के उन व्यक्तियों में से है जो व्यक्तिवाद की सीमाओं के पार जाकर सामूहिकता की चेतना

भगत सिह

क्यों भगत सिंह अछूतों के सवाल को जरूरी मानते थे

 भगत सिंह भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के पहले नेता थे जिन्होंने सांप्रदायिकता के साथ-साथ जाति के मसले पर गंभीर हस्तक्षेप किया।

बाबू मंगूराम

बाबू मंगूराम मुगोवालिया, जिनके मुरीद भगत भगत सिंह भी थे

मंगूराम, जिन्होंने पंजाब  में ऐड-धर्म आंदोलन की नींव रखी थी और गदर पार्टी से भी जुड़े हुए थे। उनको लोग

अय्यंकालि

बैलगाड़ी से ब्राह्मणों एवं नायरों के अंहकार को कुचलने वाले- अय्यंकालि

अय्यंकालि उन जाति-विरोधी योद्धाओं में से थे, जिन्‍होंने ब्राह्मणवादियों और उनकी सत्‍ता से समानता का हक़ हासिल करने के लिए

विजयलक्ष्मी पंडित

भारत अकेला है, जो वर्षों से लोकतंत्र के पक्ष में खड़ा रहा है – विजयलक्ष्मी पंडित

विजयलक्ष्मी पंडित  भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। परंतु, उनकी अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान

गोदावरी पारूलेकर

मेहनकतकश लोगों और किसानों के लिए समर्पित जीवन- गोदुताई

“गोदुताई” ठाणे-पालघर क्षेत्र में पुराने वर्ली लोगों के बीच एक प्रसिद्ध नाम है। यह एक उपनाम था, जो प्यार से

लेडी आबला बोस

विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली लेडी अबाला बोस

अबाला बोस , रेडियो साइंस के पितामह जगदीशचंद्र बोस की जीवन संगिनी थीं। उन्होंने देश की महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों

कल्पना दत्त

अंग्रेज़ों के खिलाफ़ हथियार उठाने वालीं ‘कल्पना दत्त’ : जन्मदिन विशेष

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में हर वर्ग और समुदाय ने अपना योगदान दिया। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में सबने अपनी-अपनी

दुर्गाबाई देशमुख

संविधान सभा में 750 संशोधन प्रस्ताव रखने वाली, दुर्गाबाई देशमुख

आधी आबादी की दुनिया में कुछ महिलाओं ने अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने के लिए पहले अपने अंदर की संभावनाओं

रूपा भवानी : कश्मीर के मर्दाने इतिहास में फेमिनिन हस्तक्षेप

दुर्भाग्य है कि इतिहास अक्सर मर्दों का इतिहास बनकर रह जाता है। इसमें औरतों की भागीदारी के निशानात कहीं दर्ज़

महिलाओं के शिक्षा को मौलिक अधिकार बताने वाली, हंसा मेहता

 हंसा मेहता को भारत के संविधान सभा सदस्य रही, जिन्होंने 14 अगस्त 1947 की अर्द्धरात्री को सत्ता के हस्तांतरण के

कौन थे, 1857 क्रांति के प्रथम आदिवासी शहीद वीर नारायण सिंह

भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन एक ऐसा जन आन्दोलन था जो जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे उसकी शक्ति बढ़ती गई थी। यह

गुजराती महिलाओं की पीढ़ियों के लिए आदर्श: विद्यागौरी नीलकंठ

विद्यागौरी नीलकंठ न तो पितृसत्ता के ख़िलाफ़  विद्रोही थी न ही एक उत्साही नारीवादी, जैसा आज हम इस शब्द से