1857 के गदर के किसान विद्रोही, बाबा शाहमल तोमर
1836 में बेगम समरू की मृत्यु के बाद, सरधना और उसके आसपास के गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की
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1836 में बेगम समरू की मृत्यु के बाद, सरधना और उसके आसपास के गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की
बिजोलिया के किसान सत्याग्रह ने राजस्थान में पहली बार जनचेतना की अलख जगाई और लंबे संघर्ष के बाद सफलता पाई।
1914 में रासबिहारी बोस द्वारा अंग्रेजों की पराधीनता से भारत को मुक्त कराने के लिए सशस्त्र क्रांति का जो अभियान
रायबरेली से 10 किलोमीटर दूर पड़ता है मुंशीगंज इलाका। इसके किनारे पर बहती सई नदी यूं तो शांत रहती
एम.ए. पास करने के बाद मेरे भविष्य का सवाल भी उठ खड़ा हुआ। मैं सिंध में नहीं रह सकता था।
“गोदुताई” ठाणे-पालघर क्षेत्र में पुराने वर्ली लोगों के बीच एक प्रसिद्ध नाम है। यह एक उपनाम था, जो प्यार से
कर्नल हैनेवे(Col Hannay) ईस्ट इंडिया कंपनी का एक अफसर था। कंपनी की आज्ञा से उसने 1778 में अवध के नवाब
[विदर्भ हमारे समकालीन इतिहास का एक दर्दनाक पन्ना है जिस पर किसानों की आत्महत्याओं की अनगिनत कहानियाँ लिखी हैं। युवा
[अंग्रेजी सत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह का बिगुल बजाने वाले आदि क्रांतिकारी तिलका माझी की कहानी] अंग्रेज़ों की लूट और बाबा