‘लरका विद्रोह’ का बिगुल फूंकने वाले, क्रांतिकारी बुधु भगत
बुधु भगत को झारखंड के आदिवासी समाज में एक नायक के रूप में याद किया जाता है, और उनकी बहादुरी और बलिदान की कहानी आज
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बुधु भगत को झारखंड के आदिवासी समाज में एक नायक के रूप में याद किया जाता है, और उनकी बहादुरी और बलिदान की कहानी आज भी प्रेरणादायक
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ (1917–1964) हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे अनगिनत अध्याय हैं, जो इतिहास
भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संघर्ष कहे जाने वाले 1857 के
एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा गाँव उड़ीसा का भुवन गाँव
मुस्लिम जगत में सैयदा मुहम्मदी बेगम को महिला सशक्तिकरण और भारतीय
नवंबर 1935 में, जब मार्गरेट सैंगर बंबई पहुँचीं, तो उनका
आज विश्व आदिवासी दिवस है। प्रस्तुत है इस अवसर पर
झारखंड की राजधानी रांची से 55 किलोमीटर दूर सिल्ली प्रखंड
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ (1917–1964) हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक और कथाकार थे। वह प्रगतिशील लेखक आंदोलन के अग्रणी
भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संघर्ष कहे जाने वाले 1857 के संग्राम के दौरान अंग्रेजों को खदेड़ने की घटनाएँ केवल
नवंबर 1935 में, जब मार्गरेट सैंगर बंबई पहुँचीं, तो उनका स्वागत उनके जनसख्या नियंत्रण के लिए अमेरिका में किए गए
बुधु भगत को झारखंड के आदिवासी समाज में एक नायक के रूप में याद किया जाता है, और उनकी बहादुरी और बलिदान की कहानी आज
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ (1917–1964) हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक और कथाकार थे। वह प्रगतिशील लेखक आंदोलन के अग्रणी साहित्यकारों में से एक थे,
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे अनगिनत अध्याय हैं, जो इतिहास के पन्नों में अपनी जगह नहीं बना सके। देश के दूर-दराज़ हिस्सों में साधारण
भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संघर्ष कहे जाने वाले 1857 के संग्राम के दौरान अंग्रेजों को खदेड़ने की घटनाएँ केवल दिल्ली, मेरठ या कानपुर के
एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा गाँव उड़ीसा का भुवन गाँव है, जो ब्राह्मणी नदी के तट पर स्थित है। इस गाँव के पास नीलकंठपुर
मुस्लिम जगत में सैयदा मुहम्मदी बेगम को महिला सशक्तिकरण और भारतीय उपमहाद्वीप की पहली महिला पत्रकार के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने महिलाओं की