संपादकीय : भगत सिंह के जन्मदिन पर क्रेडिबल हिस्ट्री : क्या, क्यों और कैसे?
प्रिय साथियों
आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। हम सब के लिए, इस देश के लिए उत्सव का एक दिन।
एक ऐसा दिन जब हमें आज़ादी के शानदार संघर्ष की गौरवशाली विरासत को याद करना चाहिए। उन सबको जिन्होंने आज़ादी के सपने देखे, इसके लिए जद्दोज़हद की और क़ुर्बानियाँ दीं। याद उन सपनों को भी करना चाहिए जिनमें उन्होंने एक खुशहाल देश की स्थापना के लिए रास्ते बताए। एकबार ठहरकर सोचना चाहिए कि क्या हम वाकई उन रास्तों पर चल पाए? आज हमारे नायकों के बीच के वैचारिक मतभेदों पर लगातार घटिया बात करने वाले लोग आख़िर उनके विचारों पर बात क्यों नहीं करते? भगत सिंह को पढ़ना उस दौर के क्रांतिकारी आन्दोलन के विचारों से परिचित होना भी है.
भगत सिंह के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि अलग-अलग अखबारों में उनके लिखे लेख और उनकी डायरी अब भी उपलब्ध हैं। इन्हें पढ़ते हुए बहुत स्पष्ट है कि वह एक ऐसा देश चाहते थे जहाँ अमीर-ग़रीब का भेद न हो, सबको समान अवसर मिलें। हिन्दू-मुसलमान के बीच खाइयाँ न हों, जाति के आधार पर किसी को कमतर न समझा जाए। बीस वर्ष की उम्र में लिखा उनका लेख ‘सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज़’ आज भी हमारे सामने एक लाइटहाउस की तरह है।
क्रांतिकारी आंदोलन के वह पहले नेता थे जिसने ‘अछूत समस्या’ पर बात की, और सिर्फ़ बात ही नहीं की बल्कि पूरी ताक़त से जाति आधारित ऊँच-नीच को खारिज़ किया। किसान और मज़दूर के राज की बात की।
भगत सिंह को याद करने का मतलब सिर्फ़ उनकी महान शहादत को याद करना नहीं बल्कि उनके इन विचारों को आत्मसात करना भी है। फाँसी पर गर्व लेकिन बातों को नज़रअंदाज़ करना तो उनके साथ एक धोखा ही होगा।
फिर उन्हें याद करते समय किताबों के लिए उनकी दीवानगी को कैसे भूल सकते हैं! आश्चर्य होता है कि 23 साल की ज़रा सी उम्र, हर तरफ़ शिकारी कुत्तों की तरह लगी ब्रिटिश पुलिस, क्रांतिकारी जीवन की व्यस्तताओं और अनिश्चितताओं के बीच पढ़ने की अपनी प्यास के लिए वक़्त कैसे निकाल पाते होंगे!
लेकिन जिन्हें सत्य की तलाश होती है, जो इतिहास को किसी काम की तरह नहीं बल्कि भविष्य के निर्माण के लिए ज़रूरी औज़ार की तरह देखते हैं, उनके लिए किताबें रौशनी दिखाने वाली मशालें होती हैं। जिन्हें भविष्य नष्ट करना होता है, वे अपनी वैचारिक और राजनैतिक सत्ताओं को बनाए रखने के लिए इतिहास की सच्चाई की जगह झूठ का अंधेरा समाज में भर देना चाहते हैं ; हमारा एक उद्देश्य उनका दृढ़ता से मुक़ाबला करना भी है।
आज का दिन ‘क्रेडिबल हिस्ट्री’ को लांच करने का फ़ैसला इसी विरासत या यों कहें कि इन्हीं विरासतों को सँजोने के संकल्प का हिस्सा है। पहले भी यू ट्यूब से यह कोशिश जारी थी, अब इसे और वृहत्तर रूप दिया गया है।
एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए अपने इतिहास को पढ़ने और समझने की कोशिशों में आप सबको शामिल कर लेने का एक छोटा सा प्रयास है यह वेबसाइट। आपकी हर सलाह और सहयोग का सदा दिल से स्वागत रहेगा.
अपने बेहद सीमित संसाधनों के साथ हम आपके भरोसे से ही इसे शुरू कर पाने की हिम्मत जुटा पाए हैं हम और जनता पर भरोसा करना भी हमने इतिहास से ही सीखा है।
इसे मैं कोविड के दूसरे दौर का शिकार हुए अपने गुरु-मित्र और साथी प्रो. लालबहादुर वर्मा और अग्रज प्रो. रिज़वान क़ैसर को समर्पित कर रहा हूँ जिनका लिखा-किया हमारा सबसे बड़ा संबल है।
आपका
अशोक कुमार पाण्डेय
संपर्क : [email protected]
मुख्य संपादक, क्रेडिबल हिस्ट्री