Fact Check : क्या औरंगज़ेब ने दीवाली के पटाखों पर बैन लगाया था?
औरंगज़ेब का भूत
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औरंगज़ेब का नाम उस तड़के की तरह है जिससे साम्प्रदायिक राजनीति की दाल काफी टेस्टी हो जाती है।
दिवाली पर दिल्ली में कोर्ट के आदेश पर लगे बैन अपनी प्रतिक्रिया देते हुए I.A.S.एसोसिएशन व राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजय दीक्षित कहा कि ये औरंगजेबी फरमान है। उसने भी भारत की जनता पर अत्याचार करते हुए दीपावली में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
आरोप :
अब प्रश्न है कि क्या औरंगज़ेब ने वाकई दिवाली पर आतिशबाजी पर रोक लगाई थी या ये साजिशन कहा गया है।
तथ्य :
इस बारे में औरंगज़ेब का 8 अप्रैल 1667 को बादशाह द्वारा जारी किए गए एक फ़रमान से सच को समझा जा सकता है।
दरअसल 1667 के उस फ़रमान में औरंगज़ेब ने किसी त्योहार का नाम न लिखते हुए साफ़ लिखा है कि किसी भी मौक़े पर आतिशबाजी की मनाही की जाती है।यानी शादी ब्याह, होली, दिवाली, ईद एवं शबेबरात जैसे किसी भी मौक़े पर आतिशबाज़ी नही की जा सकती।यह किसी एक त्यौहार पर नहीं बल्कि आतिशबाज़ी पर ब्लैंकेट बैन था।
अब चंद साम्प्रदायिक इतिहासकारों ने अपने अपने तरीके से उसको अनोखे अंदाज में लिख दिया। किसी ने लिखा कि उसने दिवाली पर रोक लगाई, किसी ने उसे हिंदुओं के पर्व पर रोक लिख दिया। जबकि फरमान में किसी भी मौके पर किसी भी धर्मावलंबी के आतिशबाजी पर रोक लगी थी। ये सब झूठ लिखने वालों में जदुनाथ, मजूमदार, अशीर्वादी लाल जैसे बड़े इतिहासकार शामिल थे, जिसे आज तक लोग पढ़ रहे हैं और साम्प्रदायिकता को हवा दे रहे हैं।
स्रोत :
औरंगज़ेब का ये फ़रमान आज भी बीकानेर की स्टेट आरकाइव में सुरक्षित है। इसके निदेशक महेंद्र सिंह खड़गावत इसकी पुष्टि भी कर चुके हैं।
निष्कर्ष
यह आरोप झूठा है कि औरंगज़ेब ने केवल दीवाली के पटाखों पर रोक लगाई थी।
मैं नहीं कहता कि औरंगज़ेब महान या प्रजापालक था। उसमें भी क्रूरता और निर्दयता कूट-कूट कर भरी थी, जैसी अन्य शासकों में होती थी। लेकिन साम्प्रदायिक राजनीति के लिए किया जा रहा यह पाप देश को किस मुक़ा म पर छोड़ेगा, इस पर विचार ज़रूरी है।
अपील
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