दिल्ली की कहानी – सोहेल हाशमी की ज़ुबानी (चार)
शहर कैसे बनते हैं?
आठ दिल्लियाँ
1. लाल कोट, जिसे कुछ लोग किला राय पिथोरा भी कहते हैं,2. सिरी3. तुग़लक़बाद,4. जहां-पनाह5. फिरोज़बाद या फिरोज़शाह का कोटला6. दीन-पनाह शेर-गढ़ या पुराना किला7. शाहजहानाबाद जिसे नई दिल्ली बनने के बाद पुरानी दिल्ली कहा जाने लगाऔर फिर8. नई दिल्ली।
इन बाक़ी सब को किसी बादशाह ने बनवाया, उसके या उसके उत्तराधिकारियों के मरने के बाद वो जगह उजड़ गई, बाद में आने वाले शासक ने नई राजधानी बना ली।इन नई आबादियों में से एक ‘सिरी’ तो शायद पूरी तरह राजधानी भी नहीं थी और बुनियादी तौर पर एक छावनी ही थी, अब अगर उसे राजधानी मान भी लिया जाए तो वो अलाउद्दीन ख़िलजी के काल के बाद चंद बरसों तक ही आबाद रही और फिर जब तुग़लक़ आए तो उन्होंने यह इलाका छोड़ कर दूसरे इलाके आबाद किए।
तुग़लक़ वंश : 8 बादशाह चार राजधानियाँ
पहले सुल्तान ग़यासुद्दीन तुग़लक़ ने तुग़लक़बाद से 1321 से 1325 तक यानी 4 बरस राज किया, उसके बेटे मोहम्मद बिन तुग़लक़ ने 1325 से 1351 तक तक राज किया।पहले 4 बरस अपनी पहली राजधानी जहां-पनाह से, अगले 7 बरस आज के महाराष्ट्र में देव-गिरी से जिसे उसने दौलताबाद का नाम दिया और फिर आखिरी 15 बरस फिर जहां-पनाह से।मोहम्मद बिन तुग़लक़ के बाद उसके भतीजे फिरोज़ तुग़लक़ और उसके उत्तराधिकारियों ने फ़िरोज़ाबाद से 1351 से 1398 तक अगले 47 बरस राज किया।
अकबर से अंग्रेज़ों तक
तो इल्तुतमिश द्वारा 1211 में राजधानी लाहौर से दिल्ली लाये जाने के बाद से 1321 तक यानी लगभग 100 बरस राजधानी लाल कोट में रही और 1648 से 1857 तक लगभग 200 बरस शाहजहाँनाबाद को यह रुतबा मिला।ज़ाहिर है 100 बरस का वक़्त तो किसी आबादी को शहर बनाने के लिए काफ़ी नहीं होता मगर फिर भी हम लालकोट के इलाके के आसपास दिल्ली के पहले शहर स्थापित होने के विचार को सही मानते हैं मगर आज से 110 बरस पहले स्थापित होने वाली राजधानी, नई दिल्ली को शहर नहीं मानते।
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2- दूसरी कड़ी
3- तीसरी कड़ी
जाने-माने हेरिटेज एक्टिविस्ट, दिल्ली के इतिहास पर विशेष काम।