मध्यप्रदेश का क्या रिश्ता है श्रीलंका से?
श्रीलंका गृहयुद्ध के कगार पर है। राष्ट्रपति गोटाबाया देश छोड़ चुके हैं या छोड़ने वाले हैं।
उन्हें किस देश में शरण मिलेगी कोई नहीं जानता।
एक क़िस्सा श्रीलंका के उथल-पुथल के पुराने दौर का जब वहाँ के एक मुख्यमंत्री को भारत में शरण मिली थी।
तमिल राष्ट्रवाद का उभार और EPRLF
बात अस्सी के दशक की है।श्रीलंका में तमिल राष्ट्रवाद चरम पर था। LTTE के प्रभाकरण के आतंक से श्रीलंका थर्रा रहा था।
ऐसे दौर में एक और संगठन खड़ा हुआ। नाम था EPRLF ‘ईलम पीपुल्स रिवोल्यूशनरी लिबरेशन फ्रंट’। इसके संस्थापक थे अन्नामालाई वरदराज पेरूमल। पेरूमल ने जाफना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी और वे वहां व्याख्याता भी रहे थे। इनके पिता अन्नामलाई भारतीय तमिल थे लेकिन पेरुमल का जन्म श्रीलंका में ही हुआ था ।
पेरूमल के संगठन की एक सैन्य इकाई भी थी जिसका नाम था ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’। हालाँकि LTTE भी तमिल राष्ट्रवाद का ही संगठन था, लेकी यह संगठन लिट्टे का विरोधी था। लिट्टे ने पेरूमल को देशद्रोही घोषित कर रखा था और उनकी जान का दुश्मन बना रहा। पेरूमल और उनके साथ एक बार गिरफ्तार भी हुए लेकिन बट्टीकलऊआ जेल तोड़ कर फरार हो गए। बाद में जब शांति समझौता हो गया तब पेरूमल मुख्य धारा की राजनीति में सक्रिय हुए।
उनके संगठन EPRLF ने नए बने नॉर्थ ईस्टर्न प्रोविंस में प्रांतीय परिषद के चुनाव में हिस्सा लिया। इस चुनाव में भारतीय शांति सेना ने पेरूमल की मदद की। उनका संगठन चुनाव जीता और वे 1988 में मुख्यमंत्री बन गए।
भारतीय शांति सेना की वापसी के बाद पेरूमल और श्रीलंका की तत्कालीन केंद्रीय सत्ता के बीच तनातनी बढ़ गई। पेरूमल अपने प्रांत में श्रीलंका की सेना की मौजूदगी का विरोध करने लगे। यहाँ तक धमकी दे दी कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गईं तो वे ईलम की स्वतंत्रता की घोषणा कर देंगे। उन्होंने 19 बिंदुओं का एक माँगपत्र दिया और प्रांत को स्वायत्त न करने पर स्वतंत्रता की घोषणा की धमकी दी।अंततः श्रीलंका की सरकार ने पेरूमल की प्रांतीय सरकार को भंग कर दिया। सत्ता अपने हाथ में ले ली तथा सरकार और उसकी सेना पेरूमल के पीछे पड़ गई।
चँदेरी के क़िले में रहे थे पेरूमल
जिस भारतीय शांति सेना की दम पर पेरूमल ताल ठोक रहे थे वह वापस जा चुकी थी। मजबूर होकर पेरूमल स्व निर्वासन में भारत में शरण लेने को विवश हुए।
यहाँ भारत सरकार ने उन्हें बेहद गोपनीय तरीके से एमपी के अशोकनगर जिले में चंदेरी रखा। चंदेरी की किला कोठी में जबरदस्त सुरक्षा के बीच पेरूमल वर्षों तक सपरिवार रहे। सुरक्षा ऐसी थी कि चंदेरी , अशोकनगर के लोग लंबे समय तक यह नहीं जान पाए कि संगीनों के साये में आखिर यहां कौन रहता है।श्रीलंका के हालात सुधरने पर पेरूमल कुछ साल पहले वापस अपने देश लौट गए। आजकल वे वहाँ सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं।
वरिष्ठ लेखक और पत्रकार। क्रेडिबल हिस्ट्री के सलाहकार संपादक