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Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources

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Saturday April 27, 2024
जदोनाङ कबुई

मणिपुर में स्वतंत्रता का शंखनाद करने वाला अमर ‘शहीद-जदोनाङ

एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया है। 

तात्या टोपे

पराधीनता की जंजीरे तोड़ने का संकल्प लिया

  ग्वालियर से 120 कि०मी० दूरी पर स्थित शिवपुरी किले के

महात्मा गांधी

जब गांधी जी ने साम्यवाद शब्द के अर्थ

  [ यह भाषण गांधी ने 16 मार्च, 1931 को मुम्बई

हेमू कालाणी

‘वंदे मातरम्’ के नारे के साथ फाँसी

भारतमाता को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने हेतु हँसते हुए

शेख भिखारी साहब

डलहौजी के ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ का विरोध 

शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़ 

ramabai

एक कामकाजी, एकल अभिभावक स्त्री की दिक्कतें-

उन्नीसवीं सदी भारत में पुनर्जागरण की सदी मानी जाती है। खासतौर

MAHATMA GANDHI

महात्मा गांधी की पहली रांची यात्रा

  चंपारण में गांधीजी के आंदोलन से सरकार खुश नहीं थी।

रवीन्द्र नाथ टैगौर और महात्मा गाँधी 

क्यों चला रवीन्द्र नाथ टैगौर और गाँधी

  महात्मा गाँधी  ने 1934 में प्रसिद्ध गायक दिलीप राय से

bhagat singh

जब होली के दिन बब्बर अकालियों को

  घर से भागकर भगतसिंह कानपुर चले गये। वहाँ वे गणेशशंकर

Social History

जदोनाङ कबुई

मणिपुर में स्वतंत्रता का शंखनाद करने वाला अमर ‘शहीद-जदोनाङ कबुई

एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने

तात्या टोपे

पराधीनता की जंजीरे तोड़ने का संकल्प लिया था तात्या टोपे ने

  ग्वालियर से 120 कि०मी० दूरी पर स्थित शिवपुरी किले के कवायत के मैदान में ब्रिटिश टुकड़ियों ने अपने खेमे

शेख भिखारी साहब

डलहौजी के ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ का विरोध  करने वाले, शेख भिखारी साहब

शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़  लैप्स का विरोध किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य

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जदोनाङ कबुई

मणिपुर में स्वतंत्रता का शंखनाद करने वाला अमर ‘शहीद-जदोनाङ कबुई

एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने काफी हद तक नजरअंदाज कर

तात्या टोपे

पराधीनता की जंजीरे तोड़ने का संकल्प लिया था तात्या टोपे ने

  ग्वालियर से 120 कि०मी० दूरी पर स्थित शिवपुरी किले के कवायत के मैदान में ब्रिटिश टुकड़ियों ने अपने खेमे गाड़ दिये थे। दोपहर चार

हेमू कालाणी

‘वंदे मातरम्’ के नारे के साथ फाँसी के फंदे पर झूल जाने वाले हेमू कालाणी

भारतमाता को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने हेतु हँसते हुए फाँसी के फंदे को चूमनेवाले अखंड भारत के भूखंड सिंध के वीर सेनानी बलिदानी

शेख भिखारी साहब

डलहौजी के ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ का विरोध  करने वाले, शेख भिखारी साहब

शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़  लैप्स का विरोध किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करना था। वह