महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के रिश्ते कैसे थे?
महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक संबंधों को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है, भारत के आज़ादी के लेकर वैचारिक मतभेद थे, वैचारिक मतभेदों के बावजूद महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस का संबंध पिता-पुत्र की तरह था।
6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि “भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मैं आजाद हिंद फौज के लिए आशीर्वाद मांगता हूं।
गांधी जी ने नेताजी की विमान दुर्घटना की मृत्यु की खबर पर कहा,”उन जैसा दूसरा देशभक्त नहीं, वह देशभक्तों के राजकुमार थे.”
23 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी ने प्रार्थना सभा में सुभाष चंद्र बोस को याद किया और कहा- आमतौर पर मुझे ऐसी तारीखें याद्नहीं रहतीं, न ही मैं जन्म या मृत्यु की तारीख को बहुत महत्व देता हूं..लेकिन मुझे अभी इस दिन की याद दिलाई गई और मैं बेहद खुश हूं कि सुभाष बाबू के जन्मदिन पर ध्यान देने का एक खास कारण है। बावजूद इसके कि शहीद देशभक्त हिंसा में भरोसा करते थे और मै अहिंसा में, हम यह नहीं भूल सकते कि सुभाष बाबू में न तो कोई प्रान्तवाद था न कोई साम्प्रदायिक भेदभाव। उनकी बहादुर सेना में पूरे भारत से औरतें और मर्द बिना किसी भेदभाव के शामिल थे। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता का सूत्र खोज लिया था।
इसके ठीक सात दिन बाद हत्यारों ने बापू के सीने में तीन गोलियाँ उतार कर उनके प्राण ले लिए।
जनता का इतिहास, जनता की भाषा में