1857 के गदर के किसान विद्रोही, बाबा शाहमल तोमर
1836 में बेगम समरू की मृत्यु के बाद, सरधना और उसके आसपास के गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की
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1836 में बेगम समरू की मृत्यु के बाद, सरधना और उसके आसपास के गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की
नवाब तफज्जुल हुसैन की वीरता और देशभक्ति भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में दर्ज है। अंग्रेज उन्हें “भयंकर अपराधी” मानते
अवध में राणा हुआ मरदाना। पहली लड़ाई हुई बक्सर में, सिमरी के मंदाना। हुआ से जाए पुरवा में जीता, तब
वीर गुण्डाधूर भारत के आदिवासी आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम हैं, लेकिन वर्ष 1910 के ‘भूमकाल आंदोलन’ का
राव तुलाराम के नेतृत्व में अहीरवाल के लोगों ने 1857 की क्रांति में उत्साह और वीरता के साथ अंग्रेज़ों का
महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजाराम...’ के पहले कंपोज़र और मौलिक गायक विष्णु दिगंबर पलुस्कर ही थे। संगीत
भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आधुनिक युग के जनक पंडित जवाहरलाल नेहरू ही हैं। स्वतंत्रता के तुरंत बाद, उन्हीं
भारत में स्वाधीनता संघर्ष का अंकुर वनों और पर्वतों में रहने वाले आदिवासियों के बीच ही अंकुरित हुआ। इन आदिवासियों
आज रानी लक्ष्मीबाई की जन्मतिथि है। महाश्वेता देवी द्वारा लिखित झांसी की रानी एक प्रसिद्ध उपन्यास है। लक्ष्मण राव, महारानी
जवाहरलाल नेहरू ने जो लेख लिखे और समय-समय पर जो भाषण दिए, उनसे हमारे मन पर दो प्रकार की गहरी
मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (1929-1968) अमेरिका में नागरिक आन्दोलन और सिविल नाफ़रमानी की गांधीयन विधियों को अपने आन्दोलन का (1955
पंडित नेहरू के जीवन का सर्वोत्तम काल वह था, जब वे भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में संलग्न थे। स्वतंत्रता-पूर्व
अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का शहर में हुआ। उनका असल नाम मुहिउद्दीन अहमद था मगर उनके पिता
3 सितंबर 1857 को ब्रिटिश सेना ने बिठूर में नाना साहब पेशवा की 13 वर्षीय दत्तक पुत्री, मैना कुमारी को
कोल विद्रोह 1831 और 1832 के बीच झारखंड के छोटा नागपुर क्षेत्र के आदिवासी कोल लोगों का आंदोलन था। यह
औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के खिलाफ अनेक क्रांतिकारी देशभक्तों ने अपनी जान कुर्बान की, लेकिन उनमें से कई, जिन्होंने अत्याचारी अंग्रेजों,
भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के समान, इस देश के स्वतंत्रता संग्राम के भी विविध स्वरूप रहे हैं। भारत के वनीय
फरवरी में जेल से रिहा होने के बाद, गांधीजी ने एझावा नेता टी.के. माधवन और नई शुरू की गई मातृभूमि
बिजोलिया के किसान सत्याग्रह ने राजस्थान में पहली बार जनचेतना की अलख जगाई और लंबे संघर्ष के बाद सफलता पाई।
खिलाफत आंदोलन का पहला केंद्र भारत था; यह न केवल मुसलमानों का, बल्कि पूरे भारतीय समाज का मुद्दा बन गया।
भगत सिंह के समकालीन साथी, जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं थी, जैसे सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, यशपाल, जयदेव गुप्ता
जब अंग्रेजों ने दिल्ली स्थित सेंट्रल असेंबली में ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ पास करवा चुकी थी और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ पर
सोशल मीडिया पर एक पत्र शेयर किया जाता है जिसमें गांधीजी को 1930 में निजी खर्चों के लिए अंग्रेजों से
शूरवीर पसालथा खुआंगचेरा मिजोरम के सबसे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वे इस क्षेत्र के रक्षकों में से
भारत के स्वाधीनता संग्राम में अभूतपूर्व पैमाने पर महिलाओं की सामूहिक भागीदारी देखी गई, लेकिन दुर्भाग्य से, उनमें से कई
कुछ लोग अपने जीवनकाल में ही व्यक्ति से विचारधारा बन जाते हैं। उनकी महानता इस तथ्य में निहित होती है
नसुड़ी यादव बिरहा गायन शैली के इतिहास के सबसे अलग, विलक्षण और बोल्ड गायक थे। वह बिरहा के आदि विद्रोही
1914 में रासबिहारी बोस द्वारा अंग्रेजों की पराधीनता से भारत को मुक्त कराने के लिए सशस्त्र क्रांति का जो अभियान
चारु चंद्र बोस जिन्होंने अपने दोषपूर्ण दाहिने हाथ के बावजूद उसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल किया और भारत की
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधीजी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ दी थी । आंदोलन का नाम था
जब अंग्रेजों के प्रति निष्क्रिय प्रतिरोध से कोई परिणाम नहीं मिल रहा था, तो भारतीय क्रांतिकारियों के एक समूह ने
महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बीच मूल्यों और मानदंडों की एक गहरी एकता थी। दोनों के बीच वफादारी और
कूका आंदोलन का जन्म 19वीं शताब्दी में पंजाब में हुआ था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में ‘कूका विद्रोह’
जब चंद्रशेखर आज़ाद बम्बई में थे, तब वह अपने क्रांतिकारी जीवन के एक महत्वपूर्ण और संघर्षपूर्ण दौर से गुजर रहे
26 नवंबर 1938 के हरिजन में “The Jews” शीर्षक महात्मा गांधी के लेख पर जबरदस्त विवाद हुआ था। एक वर्ग