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क्या कहा सरदार पटेल ने आजादी के पहली वर्षगांठ पर?

सरदार पटेल ने आजादी के एक साल बाद 16 अगस्त 1948 के भाषण में विभाजन के बाद देश में शांति स्थापना, वैश्विक शांति, भारत की अखंडता और संप्रभुता, विभाजन से पैदा हुई दंगों के बाद शांति स्थापित करने में महात्मा गांधी की भूमिका, कश्मीर और हैदराबाद में तनावपूर्ण स्थिति और  गांधी हत्या करने वाले लोगों पर तंज कसने के साथ-साथ देश की सुरक्षा के लिए सेना के मजबूत और आत्मनिर्भर होने की बात की। सुनिए..

 

 

भाइयों और बहनों आज स्वतंत्रता का एक साल परिपूर्ण होता है। उस समय पर जो खुशहाली होनी चाहिए। इतनी तो नहीं होती है फिर भी एक साल हमें कितनी कठिनाइयों में काटी और क्या-क्या मुसीबतों का मुकाबला करना पड़ा? उसके ऊपर ख्याल करे तो हमें काफी खुशी मनानी चाहिए।

बहुत काम करने का  बाकी तो है ही  लेकिन इस मौके पर जो काम हमने किया। वह बताने कि जरूरत नहीं है। आज हमारी क्या हालत है? और भविष्य में नजदीक के भविष्य में हमें क्या करना है उसके पर मैं आपका तव्ज़जो दिलाना चाहता हूँ।

पिछले साल में जो हमारे मुल्क में भारत की आजादी के बाद तुरंत जो आग चारो तरफ फैल गई। जो कौमी-फंसाद फूट निकलीं उस हालत में एक तो हमारे पास खुद राष्ट्र के पिता महात्मा गाँधी जी मौजूद थे। इससे हम बच गए। यदि इस समय पर बंगाल में खुद महात्माजी मौजूद न होते। तो आज हमारी क्या हालत होती है, कहना मुश्किल है।

 

मुल्क़ के टुकड़े-टुकड़े होने पर

उसी समय पर पंजाब का टुकड़ा होने के बाद या तो भारत का टुकड़ा होने के बाद, जो मुसीबत हमारे सामने आई, उसमें क्या-क्या कठिनाइयाँ उठानी पड़ी, आप सब जानते है लेकिन अब आज ईश्वर की कृपा से हम मुल्क में एक प्रकार कि शांति स्थापित कर सके।

दूसरा जैसा एक कौमी मामला था वैसा ही पेचीदा मामला देसी रियासतों का था। जब सार्वभौमसत्ता हिंदुस्तान में से अपना बिस्तरा लपेट के चली गई, जब उसने ऐलान किया इधर पैरामाउंटेंसी खत्म होती है उस समय पर मुल्क में क्या होगा? मुल्क एक रहेगा या तो उसका टुकड़ा-टुकड़ा हो जायेगा उस बारे में बहुत लोगों का अलग-अलग ख्याल था।बहुत लोग चिंता में घिरे थे।

लेकिन जो राजा महाराजा थे उसमें से बहुतों ने काफी स्वदेश अभिमान अपनाया है और भारत की सरकार को साथ दिया। उसके लिए मैं आज उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ और मैं कहना चाहता हूँ कि उनकी मदद से आज मुल्क में जो एकता कायम हुई है वह सैकड़ों साल पहले कभी नहीं थी। इतनी एकता हमने बनाई है हिंदुस्तान का टुकड़ा होते हुए भी भारत आज एक बहुत बड़ा मुल्क है।

गांधी के रास्ते पर चलकर शांति स्थापित करना होगा

जो काम हमें करना है वह काम करे तो सारी दुनिया में हिंदुस्तान का जो अपना योग्य स्थान है वह ले सकता है। मुझे विश्वास है कि इस रास्ते पर जो रास्ता गाँधी जी ने हमको बताया उसी पर हम चलेंगें तो हमारी जगह सारी दुनिया में बहुत ऊंची होगी। अब हमारा प्रथम कर्तव्य जो हिंदुस्तान में शांति रखने या शांति स्थापित करने का था। वह ठीक तरह से हुआ है काफी परिपूर्ण नहीं हुआ, यह हमें मानना पड़ेगा।

 

 अभी तो हिंदुस्तान के भीतर में एक तो कश्मीर में लड़ाई चलती है। दूसरा, हिंदुस्तान रोजरी में हैदराबाद का एक बहुत बड़ा अवसर पड़ा है। वहाँ से जो भी जहर दिन-प्रतिदिन फैल गया है उन दोनों चीज़ का फैसला करने की हमारी पूरी कोशिश है और हम उम्मीद रखते हैं और हम विश्वास भी दिलाना चाहते हैं कि जितना जल्दी हो सक इतना हम करेंगे। लेकिन ये तो मुल्क के भीतर की बात है हमारे मूल्क के आस पास जो हालत है उसके ऊपर हमे ख्याल रखना है।

चीन में एक समय पर हम ऐसी उम्मीद रखते थे कि चीन सारे एशिया की अगुवाई लेगा लेकिन वहाँ की जो बिगड़ती हालत है  मालूम पड़ता है वहाँ से हमको कोई उम्मीद नहीं। वहाँ बड़ा दुख है और चीन में जो आज हो रहा है, ऐसी हालत दुनिया में किसी  मुल्क की नहीं। अब उसके पास आप देखिये मलाया, वहाँ भी फसाद हो रही है इंडोनेसिया वहाँ भी हो रही है और देखें हमारे पास हमारे साथ-साथ उनको आज़ादी मिल गई उसकी क्या हालत है?

बड़ी चिंताजनक हालत है और हमारे पास लक्ष्य बड़ा है और हम देखते हैं कि हमारे मुल्क में वह चीज फैलने में देर न लगे। ऐसी हालत है इसलिए हमें बड़ा सावधान रहने की जरूरत है।

 

जिसने आजादी दिलवाई उनका खून करने में भी संकोच नहीं हुआ

कई लोग कहते हैं कि आजाद हिंदुस्तान में जितनी स्वतंत्रता लोगों को मिलनी चाहिए इतनी देने में हिचकते है और कुछ ऐसे कड़े कानून बनाते हैं जिसके वजह से आजादी पर प्राप्त होती है। हमें कबूल करना पड़ता है ये बात सही है।

 

 आपको ये मानना पड़ेगा कि आजादी जिसमें दिलवाई उनका खून करने में भी, हमारे मुल्क में ऐसे आदमी  हैं जिसको संकोच नहीं हुआ, शर्म नहीं हुई। वैसे लोगों के लिए या तो परदेशी संस्कृति इधर लाने के लिए आर्थिक परदेसी संस्कृति लाने के लिए राजकीय संस्कृति लाने के लिए या वहाँ के प्रदेश का सोशल स्ट्रक्चर इधर जबरदस्ती थोपने के लिए जो लोग कोशिश करते हैं।

 

उसको हम ठीक ना रखें और उसको संभाल कर न रखे। तो जो चीन की हालत हुई जो बर्मा की हालत हो रही है जो और आसपास ईस्ट एशिया में हो रही है। वह हमारे मुल्क की नहीं होना चाहिए, उससे सावधान रहना चाहिए।

 

सरकार का पूरी ताकत से साथ दे

इसलिए पहले हमारा कर्त्तव्य है  हिंदुस्तान की स्थिरता संभालना और उसमें हम गलती करें तो हम आगे बढ़ ही नहीं सकते। इसलिए एक तो हमारा मजबूत एक मध्यस्थ सरकार और दूसरा हमारा मजबूत फौजी इंतजाम,वह दो चीज न हो तो हम वह काम कर नहीं सकते।

इसलिए यदि मजबूत फौज रखनी हो तो उसके लिए जितना आर्थिक बंदोबस्त करना चाहिए, जितनी इंडस्ट्री चाहिए, उद्योग यह सब होना चाहिए। खाना पीना चाहिए, यह सब ठीक चाहिए तो हमें मुल्क में हर आदमी का साथ चाहिए।

मैं इस मौके पर हिंदुस्तान की जनता को हृदय से अपील करता हूँ कि आपको भारत की सरकार को जितना साथ देने की ताकत हो, वह सब दिल से देना चाहिए।

Editor, The Credible History

जनता का इतिहास, जनता की भाषा में

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