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जब महात्मा गांधी से मिलने मार्गरेट सैंगर वर्धा पहुँचीं

 

नवंबर 1935 में, जब मार्गरेट सैंगर बंबई पहुँचीं, तो उनका स्वागत उनके जनसख्या नियंत्रण के लिए अमेरिका में किए गए अग्रणी कार्यों के समर्थकों ने किया। वह अब भारत में अपना संदेश फैलाने आई थीं, एक ऐसे देश में, जहाँ अधिकांश लोगों के अनुसार इसकी वास्तविक ज़रूरत थी। भारत उनके सबसे बड़े सफलताओं का गवाह बनने वाला था और शायद उनकी सबसे बड़ी विफलता का भी।

 

कौन थीं मार्गरेट सैंगर

मार्गरेट सैंगर
मार्गरेट सैंगर

मार्गरेट सैंगर ने 1917 में न्यूयॉर्क में एक गर्भ निरोधक क्लिनिक खोली थी। कहा जा सकता है कि उन्होंने अमेरिका में महिलाओं को गर्भ निरोध के प्रति जागरूक करने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत की थी। हालांकि, उनके इस कदम के कारण प्यूरिटन और कैथोलिक, दोनों ही उनके खिलाफ हो गए थे।

 

मिस सैंगर कहती थीं, “एक महिला के शरीर पर केवल उसी का अधिकार है।” मार्गरेट सैंगर को गिरफ्तार किया गया, बदनाम किया गया, और पुलिस द्वारा धमकाया गया, लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा। मिस सैंगर एक खूबसूरत आयरिश महिला थीं। वह चाहती थीं कि भारत में भी गर्भ निरोध के तरीकों का उपयोग किया जाए। उन्हें अंदेशा था कि उनके इस अभियान में गांधी उनकी विशेष मदद नहीं करेंगे।

 

रॉबर्ट पेन की किताब “लाइफ एंड डेथ ऑफ महात्मा गांधी” के अनुसार, आश्रम का वातावरण सैंगर को बहुत आकर्षित नहीं कर सका। वहाँ सिंचाई के लिए कोल्हू और लकड़ी के चक्के का प्रयोग किया जा रहा था। उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि गांधीजी क्यों जानबूझकर मशीनों से दूर रहते हैं। लेकिन उन्होंने यह भी महसूस किया कि गांधी के इर्द-गिर्द एक दीप्तिमान वातावरण है। चूंकि गांधीजी एक अच्छे स्वभाव के अतिथि-सत्कारक थे, इसलिए मार्गरेट को उम्मीद थी कि वह उनकी बातों को समझेंगे।

 

जब महात्मा गांधी से मिलने मार्गरेट सैंगर वर्धा पहुँचीं

 

दिसंबर 1935 में, अमेरिकी नारीवादी मार्गरेट सैंगर गांधीजी से मिलने वर्धा पहुँचीं। वह भारत की एक विस्तृत यात्रा पर थीं, जिसमें उन्होंने करीब 10,000 मील की यात्रा कर अठारह शहरों का दौरा किया था और परिवार नियोजन एवं स्त्री सशक्तिकरण के मुद्दों पर डॉक्टरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बातचीत की थी।

 

श्रीमती सैंगर 3 दिसंबर को आश्रम पहुँचीं। गांधीजी ने उन्हें रेलवे स्टेशन से आश्रम तक लाने के लिए एक तांगा भेजा था। उस दिन गांधीजी का मौन व्रत था, इसलिए महादेव देसाई ने उनका स्वागत किया और वर्धा में स्थापित किए जा रहे ग्रामीण उद्योगों का दौरा कराया, जिनमें तेल पेराई की चक्की, हस्तनिर्मित पेपर मशीन और सूत कातने के चरखे शामिल थे।

 

महात्मा गाधी और मार्गरेट सैंगर
महात्मा गाधी और मार्गरेट सैंगर

अगले दिन, श्रीमती सैंगर ने गांधीजी के साथ सुबह की सैर की और उनके साथ दोपहर का समय भी बिताया। दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई, जिसका विवरण महादेव देसाई और सैंगर की सचिव ने दर्ज किया।

 

महादेव देसाई ने टिप्पणी की, “दोनों इस बात पर सहमत थे कि स्त्रियों को सशक्त होना चाहिए और उन्हें अपने भाग्य की निर्माता बनना चाहिए।” हालांकि, जहाँ श्रीमती सैंगर का मानना था कि गर्भ निरोधक महिलाओं की मुक्ति का सबसे सुरक्षित माध्यम हैं, वहीं गांधीजी का मानना था कि स्त्रियों को अपने पतियों के संयम में रहने के लिए कहना चाहिए और पुरुषों को अपनी ‘पाशविक इच्छाओं’ पर नियंत्रण रखना चाहिए।

 

गांधीजी ने हमेशा परिवार नियोजन के कृत्रिम तरीकों का विरोध किया था। इससे पहले, 1934 में, केरल की एक स्त्री अधिकार कार्यकर्ता ने उनसे पूछा था, “क्या गर्भ निरोधकों द्वारा परिवार नियोजन आत्म-नियंत्रण से बेहतर नहीं है, जो सामान्य स्त्री-पुरुषों के लिए कुछ ज़्यादा ही ऊँचा आदर्श है?” इस पर गांधीजी का जवाब था, “क्या आपको लगता है कि गर्भ निरोधकों का प्रयोग करके शरीर की स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है? स्त्रियों को सीखना चाहिए कि वह अपने पतियों का प्रतिरोध कैसे करें। अगर पश्चिम की तरह ही गर्भ निरोधकों का उपयोग किया जाएगा, तो इसके भयानक दुष्परिणाम सामने आएँगे। स्त्री और पुरुष फिर केवल यौन संबंध के लिए ही जिएँगे। वे मानसिक रूप से कमजोर, उन्मादी और वास्तव में मानसिक एवं नैतिक रूप से रुग्ण बन जाएँगे।”

 

हालाँकि, गांधीजी ने यह भी जोड़ा, “जहाँ तक महिलाओं का सवाल है, मैं उनके द्वारा गर्भ निरोधकों के इस्तेमाल के विरुद्ध हूँ, लेकिन अगर कोई पुरुष स्वेच्छा से नसबंदी करवाता है, तो मैं उसके विरुद्ध नहीं हूँ, क्योंकि इस संबंध में पुरुष एक आक्रांता होता है।”

 


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क्या गांधीजी ‘व्यभिचार और विलासिता’ को लेकर अत्यधिक भयाक्रांत थे?

 

श्रीमती सैंगर से बातचीत के दौरान, गांधीजी ने ‘यौन संबंध’ के बारे में बड़े आलोचनात्मक ढंग से चर्चा की। श्रीमती सैंगर यौन-लिप्सा, जैसे कि किसी पुरुष का वेश्या के पास जाते समय व्यक्त होता है, और ‘प्रेम आधारित आपसी संबंध’ के बीच अंतर कर रही थीं, जो एक स्त्री और पुरुष के बीच गहरे और पारस्परिक स्नेह से, जैसे कि पति और पत्नी के बीच, जन्म लेता है।

 

श्रीमती सैंगर का मानना था कि बाद वाला ‘संबंध एक आध्यात्मिक ज़रूरत’ है। जैसा कि उन्होंने लिखा, “स्त्रियों में भी पुरुषों की तरह गहरी यौनेच्छा होती है। ऐसा भी समय होता है जब पत्नियाँ भी पतियों की तरह ही शारीरिक संबंध की इच्छा रखती हैं।” उन्होंने पूछा, “क्या गांधीजी सोचते हैं कि गहरे प्रेम में पड़े दो व्यक्ति, जो साथ-साथ खुश हैं, वे केवल दो साल में एक बार संबंध बनाएं ताकि वे अपने बच्चे की चाहत पूरी कर सकें?” ऐसे समय में गर्भनिरोधक लाभकारी, आवश्यक, और यहाँ तक कि जीवनोपयोगी साबित होते हैं, ताकि स्त्रियाँ अपने शरीर पर अपना हक कायम रख सकें।

 

गांधीजी, अधिकांश भारतीय पुरुषों की तरह, इस संभावना से इनकार करते थे कि महिलाएँ भी आगे बढ़कर संबंध बनाने की इच्छुक हो सकती हैं। श्रीमती सैंगर के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा तभी संभव है जब पति और पत्नी संतान के इच्छुक हों। गांधीजी के अनुसार, संतानोत्पत्ति ही स्त्री-पुरुष के बीच संबंध का एकमात्र न्यायोचित कारण हो सकता है।

 

श्रीमती सैंगर इस बात से सहमत नहीं थीं और बाद में उन्होंने लिखा कि गांधीजी ‘व्यभिचार और विलासिता को लेकर अत्यधिक भयाक्रांत हैं।’

सैंगर और उनके जैसे परिवार नियोजन के अन्य समर्थकों के लिए गांधीजी की यही राय थी कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को अपने पतियों का विरोध करना या उन्हें मना करना सीखना चाहिए।

 

इसके जवाब में श्रीमती सैंगर ने कहा, “अगर वैसी स्थिति में कोई महिला अपने पति की पहल का विरोध करती है, तो आप उस उथल-पुथल और अप्रिय स्थिति पर विचार कीजिए जिसका सामना उस महिला को करना पड़ेगा! अगर वह उसे घर से निकाल दे तो क्या होगा? अमेरिका के कुछ राज्यों में तो अपने पति की इच्छा का विरोध करने पर महिलाओं के पास किसी प्रकार का अधिकार नहीं रह जाता।” ऐसे में गर्भनिरोधक का प्रयोग निश्चय ही वैवाहिक जीवन में तालमेल का एक बेहतर तरीका है।

 

श्रीमती सैंगर ने उम्मीद की थी कि वह अपने तर्कों से गांधीजी को गर्भनिरोधक के प्रयोग पर सहमत कर लेंगी। बंबई की झोपड़पट्टियों की यात्रा के दौरान, वह एक युवा महिला से मिली थीं, जिसके पाँच या छह बच्चे थे और जो ‘अभी भी और बच्चा होने की संभावना से भयाक्रांत थी।’

 

प्रश्न यह था कि अगर उन्होंने गर्भनिरोधक का प्रयोग शुरू कर दिया, तो उनकी जीवन प्रत्याशा कितनी बढ़ सकती है? सैंगर गांधी को लेकर एक गर्मजोशी भरा भाव लेकर वर्धा से रवाना हुईं। जैसा कि उन्होंने अमेरिका लौटने के बाद अपने पति को लिखा, “मुझे वर्धा की अपनी वह यात्रा हमेशा याद रहेगी और आपके साथ सैर करते हुए की गई आनंदित करने वाली बातचीत भी, जो एक बड़े सौभाग्य के तौर पर मुझे प्राप्त हुई।”

 


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गांधीजी और सैंगर महिला अधिकारों के महत्व पर सहमत थे

 

गांधीजी और सैंगर महिला अधिकारों के महत्व पर सहमत थे। अनोखी बात यह है कि गांधीजी एक ऐसे नेता थे जो एक मजबूत, मर्दाना छवि को महत्व नहीं देते थे, बल्कि अपनी कोमल, महिला सहानुभूति और उससे प्राप्त शक्ति का गुणगान करते थे। सैंगर इस पहलू और महिलाओं को सशक्त बनाने में गांधी के वास्तविक विश्वास की सराहना कर सकती थीं।

 

हालांकि, गांधीजी ने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं के बारे में उनकी अंतर्दृष्टि उन्हें उनके लिए बोलने की अनुमति देती है, जिसमें सेक्स के प्रति दृष्टिकोण भी शामिल है। गांधीजी  का मानना था कि ‘शुद्ध’ महिलाएं गर्भधारण के सीमित अवसर के अलावा सेक्स से इनकार कर देंगी। उनके दृष्टिकोण में, जन्म नियंत्रण महिलाओं को शुद्धता को त्यागने और आनंद के लिए सेक्स करने के लिए प्रेरित करता था, जो गांधीजी के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अभिशाप था।

 

मिस सैंगर कभी-कभी चकित रह जातीं कि सुख और विलास चाहे कहीं भी क्यों न हो, गांधीजी आखिर क्यों उसका इतने कटु तरीके से विरोध कर रहे हैं। वह यह समझ नहीं पाती थीं कि गांधीजी चॉकलेट और यौन संबंधों को एक तराजू पर कैसे रख सकते हैं। गांधी का तर्क था कि व्यक्ति तभी सच्चा प्रेम कर सकता है जब वासना समाप्त हो जाती है और तब केवल प्रेम शेष रहता है। यह वार्तालाप बहुत लंबा चला और अंततः गांधी की ऊर्जा समाप्त हो गई।

 

इसके बाद, मिस सैंगर ने अपने अभियान को लेकर भारत में कई और स्थानों का दौरा किया और कई और लोगों से मिलीं। रवींद्रनाथ ठाकुर ने खुले दिल से उनका स्वागत किया। वह बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ और नेहरू की  अतिथि भी बनीं।

मार्गरेट सैंगर और जवाहर लाल नेहरु
मार्गरेट सैंगर और जवाहर लाल नेहरु

आखिरकार, उनके सिद्धांतों को मान्यता मिली, लेकिन गांधीजी के निधन के बाद। भारत सरकार ने देशभर में गर्भ निरोधकों को प्रोत्साहित और समर्थन देना शुरू किया, और भारत दुनिया का पहला देश बना, जिसने 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया।

 


संदर्भ

Ramachandra Guha, Gandhi: The Years that Changed the World, Penguin Random House India Private Limited, 2019

Margaret Sanger, The Selected Papers of Margaret Sanger, Volume 4, University of Illinois Press, 2016

Editor, The Credible History

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