दूसरा जलियांवाला बाग था रायबरेली का ‘मुंशीगंज गोलीकांड’
रायबरेली से 10 किलोमीटर दूर पड़ता है मुंशीगंज इलाका। इसके किनारे पर बहती सई नदी यूं तो शांत रहती
Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources
Editorial Address : 123 Kirpal Apartment, 44 IP Extension, Patparganj, Delhi -110092
N/A
रायबरेली से 10 किलोमीटर दूर पड़ता है मुंशीगंज इलाका। इसके किनारे पर बहती सई नदी यूं तो शांत रहती
1919 में रॉलेट एक्ट के विरोध में, पूरे देश में व्याप्त असंतोष का परिणाम यह हुआ कि भारत की
भारत कृषक देश है। भारत की 75 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, खेतिहर है और शेष चौथाई जन
भारत के बहादुर नौजवानों में ब्रिगेडियर उस्मान का स्थान बहुत ऊँचा है। नौशहरा के इस बहादुर विजयी का नाम
भारत में जारी आम चुनाव के दरमियान अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल
अकसर ऐसा होता है कि जो इतिहास रचता है, उसका इतिहास में नाम नहीं होता, लेकिन जो इतिहास रचता है
हमारे लम्बे इतिहास में हमारे देश में बहुत से महापुरुष हो गए हैं। यह निस्संकोच कहा जा सकता है
शेरशाह के शासन में सुलेमान कर्रानी बिहार का सूबेदार था। सूरी वंश के पतन के पश्चात् उसने बंगाल में
आज मई दिवस है दुनिया भर के कामगारों के संघर्ष और बलिदान को याद करने का दिन। लेकिन विमर्शों के
एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने
शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स का विरोध किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य
उन्नीसवीं सदी भारत में पुनर्जागरण की सदी मानी जाती है। खासतौर पर महाराष्ट्र और बंगाल में इस दौर में समाज
चंपारण में गांधीजी के आंदोलन से सरकार खुश नहीं थी। वह चाहती थी कि हर हाल में गांधीजी चंपारण
विनायक दामोदर सावरकर लंदन में हाईगेट में 65 क्रॉमवेल एवेन्यू के घर में रहते थे। जो 1905 से 1910
उत्तरी पाकिस्तान में गिलगित-बॉल्टिस्तान (जीबी) क्षेत्र, जिसे पहले पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, का एक
स्वामी श्रद्धानंद की हत्या अब्दुल राशिद नामक एक व्यक्ति ने की थी। बीमार श्रद्धानंद के सीने में दो गोलियाँ उतार
15 वीं शताब्दी की शुरुआत में सिकंदर बुतशिखान के शासन के दौरान मार्तंड सूर्य मंदिर को नष्ट कर दिया गया था, जो
क्या जवाहर लाल नेहरू कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार थे? यह वाक्य भारत के आज़ादी के बाद से आज तक
भारतीय इतिहास में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक टंट्या भील की जांबाजी का अमिट अध्याय है। उन्होंने भारत की माटी
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के दौर में, जिस समय देश भर में मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
आजादी के बाद, जब त्रिपुरा के राजा ने भारत संघ में विलय का मन बना चुके थे, उनके सौतेले भाई
1857 के विद्रोह में वीर कुंवर सिंह ने बिहार का नेतृत्व किया, इस इतिहास से अधिकांश लोग परचित है। उनके
गांधी 1 अगस्त 1947 को पहली और आख़िरी बार कश्मीर गए । असल में शेख़ अब्दुल्ला की रिहाई में हो
दुर्भाग्य है कि इतिहास अक्सर मर्दों का इतिहास बनकर रह जाता है। इसमें औरतों की भागीदारी के निशानात कहीं दर्ज़
सुरेन्द्र साए भारत के अग्रणी स्वाधीनता संग्राम सेनानी थे। 1857 के विद्रोह के 30 वर्ष पूर्व ही उन्होने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध ‘उलगुलान’ (आन्दोलन)
गाँधी की हत्या के बाद अलग-थलग पड़ चुके हिन्दुत्ववादी दक्षिणपंथ के लिए आज़ाद हिन्दुस्तान का इकलौता मुस्लिम बहुल प्रदेश कश्मीर
[शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला (1905-1981) जिन्हें शेर-ए-काश्मीर भी कहा जाता है, कश्मीर के सबसे महत्त्वपूर्ण नेताओं में थे। आज़ादी के बाद
वर्ष 1670- 1671 बिहार में भीषण दुर्भिक्ष पड़ा था। 1670 के अक्टूबर महीने से लेकर नवंबर 1671 के बीच पड़े
मोतीलाल नेहरू को अक्सर जवाहरलाल नेहरू के पिता के रूप में ही जाना जाता है। लेकिन बचपन से संघर्ष
सन 1541 ई. में जब शेरशाह पटना के सामरिक महत्व को समझते हुए यहां किले का निर्माण करवा रहा था
अंग्रेजी के सबसे प्रसिद्ध उपन्यासकारों में से एक चार्ल्स डिकिन्स ने “पिकविक पेपर्स” नाम से एक उपन्यास लिखा था। यह
बलराज साहनी हिन्दी सिनेमा में अपनी तरह के अदाकार रहे हैं। फिल्म दो बीघा जमीन में वह मजदूर किसान जिसको
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दावा किया है कि मराठों में हमेशा एकता रही है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है
कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक एक बौद्ध था. तेरहवीं सदी के आरम्भ तक कश्मीर के शासकों की स्थिति बेहद
[जाने-माने हेरिटेज एक्सपर्ट सोहेल हाशमी दिल्ली के बहाने शहरों के बनने की कहानी सुना रहे हैं। पढिए उसकी चौथी क़िस्त]