Social History
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गांधीजी ने क्यों कहा था, मैं हिन्दू क्यों हूँ ?
महात्मा गांधी अपने समय के उन व्यक्तियों में से है जो व्यक्तिवाद की सीमाओं के पार जाकर सामूहिकता की चेतना…
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मज़हब के ऊपर था ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का राष्ट्रवाद
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान या बादशाह ख़ान उनलोगों में से थे, जो अविभाजित राष्ट्रवाद के साथ ही अविभाजित राष्ट्र…
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क्यों भगत सिंह अछूतों के सवाल को जरूरी मानते थे
भगत सिंह भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के पहले नेता थे जिन्होंने सांप्रदायिकता के साथ-साथ जाति के मसले पर गंभीर हस्तक्षेप किया।…
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बैलगाड़ी से ब्राह्मणों एवं नायरों के अंहकार को कुचलने वाले- अय्यंकालि
अय्यंकालि उन जाति-विरोधी योद्धाओं में से थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादियों और उनकी सत्ता से समानता का हक़ हासिल करने के लिए…
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भारत अकेला है, जो वर्षों से लोकतंत्र के पक्ष में खड़ा रहा है – विजयलक्ष्मी पंडित
विजयलक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। परंतु, उनकी अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान…
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मेहनकतकश लोगों और किसानों के लिए समर्पित जीवन- गोदुताई
“गोदुताई” ठाणे-पालघर क्षेत्र में पुराने वर्ली लोगों के बीच एक प्रसिद्ध नाम है। यह एक उपनाम था, जो प्यार से…
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आदिवासी औरतों के संघर्षों का इतिहास
आदिवासी परंपराओं में एक फूलो-झानो मात्र नहीं हैं, उनके जैसी कई पुरखिन औरतें और वर्तमान समय में भी उनका निर्वाह…
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विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली लेडी अबाला बोस
अबाला बोस , रेडियो साइंस के पितामह जगदीशचंद्र बोस की जीवन संगिनी थीं। उन्होंने देश की महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों…
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देश की पहली महिला विधायक मुथुलक्ष्मी रेड्डी का सफर
भारत की अज़ादी की लड़ाई के दौरान कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने आज़ादी के साथ-साथ सामाजिक आंदोलनों को ज़रूरी…
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अंग्रेज़ों के खिलाफ़ हथियार उठाने वालीं ‘कल्पना दत्त’ : जन्मदिन विशेष
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में हर वर्ग और समुदाय ने अपना योगदान दिया। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में सबने अपनी-अपनी…
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संविधान सभा में 750 संशोधन प्रस्ताव रखने वाली, दुर्गाबाई देशमुख
आधी आबादी की दुनिया में कुछ महिलाओं ने अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने के लिए पहले अपने अंदर की संभावनाओं…
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रूपा भवानी : कश्मीर के मर्दाने इतिहास में फेमिनिन हस्तक्षेप
दुर्भाग्य है कि इतिहास अक्सर मर्दों का इतिहास बनकर रह जाता है। इसमें औरतों की भागीदारी के निशानात कहीं दर्ज़…
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आजाद देश की पहली महिला सीएम सुचेता कृपलानी
सुचेता कृपलानी को अधिकांश लोग इस नाते ही जानते हैं कि उन्होंने एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की…
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महिलाओं के शिक्षा को मौलिक अधिकार बताने वाली, हंसा मेहता
हंसा मेहता को भारत के संविधान सभा सदस्य रही, जिन्होंने 14 अगस्त 1947 की अर्द्धरात्री को सत्ता के हस्तांतरण के…
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महिला आन्दोलनों को निरन्तरता में पहचाने का प्रयास
देश में महिलाओं के अधिकारों को लेकर हुए आन्दोलन का एक लंबा इतिहास रहा है। जिसको आयात किया हुआ विमर्श…
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नस्लभेद की लड़ाई और अफ्रीका में गांधीजी
“गाँधी को पूर्वाग्रहों के लिए क्षमा किया जाना चाहिए और हमें उनका मूल्यांकन उनके समय और परिस्थितियों को ध्यान में…
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जब नर्तकी अज़ीज़न ने अग्रेजों पर बरपा दिया था कहर
1857 की जन-क्रांति के समय अज़ीज़न कानपुर में नर्तकी थी। उनका वैभव घुघरुओं की रुनझुन और संगीत के सुमधुर स्वर…
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भारत के आदिविद्रोही बिरसा मुंडा
बिरसा विद्रोह दरअसल मुण्डा विद्रोह था। इस विद्रोह का आर्थिक उद्देश्य उन ज़मींदारों को, जिन्होंने मुण्डों की जमीन हथिया ली…
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जब गोरखपुर के किसानों ने विद्रोह का बिगुल बजाया
कर्नल हैनेवे(Col Hannay) ईस्ट इंडिया कंपनी का एक अफसर था। कंपनी की आज्ञा से उसने 1778 में अवध के नवाब…
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कौन थे, 1857 क्रांति के प्रथम आदिवासी शहीद वीर नारायण सिंह
भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन एक ऐसा जन आन्दोलन था जो जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे उसकी शक्ति बढ़ती गई थी। यह…
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गुजराती महिलाओं की पीढ़ियों के लिए आदर्श: विद्यागौरी नीलकंठ
विद्यागौरी नीलकंठ न तो पितृसत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोही थी न ही एक उत्साही नारीवादी, जैसा आज हम इस शब्द से…
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14 साल की क्रांतिकारी सुनीति चौधरी, जिन्होंने 7 साल जेल काटे; डाक्टर भी बनी!
खुद पर आत्मविश्वास और हौसले के दम पर, असंभव लगने वाले काम को अंजाम दिया जा सकता है और सफलता…
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जब हंटर कमीशन से मिली पंडिता रमाबाई
18वीं सदी में भारतीय शिक्षा के विषय पर गठित कमीशन जिसे भारतीय शिक्षा आयोग भी कहा गया। भारतीयों के शिक्षा…
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जन्मदिन विशेष: मृदुला साराभाई
सामाजिक मुद्दों के लिए जीवन समर्पित करने वाली मृदुला साराभाई मृदला साराभाई वह महिला जो आजादी के आंदोलनों में सफेद…
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प्रिय पूंजीवाद, मार्क्स अभी अप्रासंगिक नहीं हुये है
मार्क्स यदि जीवित होते तो 5 मई 2018 को 202 वर्ष के हो गए होते। तो क्या? क्या मार्क्स के…
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बंगाल की पहली महिला क्रांतिकारी: प्रीतिलता वाडेदार
औपनिवेशिक भारत में जब आज का बांग्लादेश भारत का हिस्सा हुआ करता था, तब एक यूरोपियन क्लब के बोर्ड पर…
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भारत में गुप्तचर तंत्र का इतिहास
कहा जाता है कि दुनिया का सबसे पुराना पेशा है देह-व्यापार. देह-व्यापार से उत्पन्न परिस्थितियों में ईर्ष्या-द्वेष बढ़ा. ऐसी हालत…
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आंकड़ों से बाहर क्यों रह जाता है औरतों का श्रम
मई दिवस यानी अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस। श्रम यानी सिर्फ़ मर्दों का श्रम? औरतों की मेहनत पर ध्यान क्यों नहीं जाता?…
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मई दिवस का गौरवशाली इतिहास: चुनौतियाँ आज भी बरक़रार
सत्यम सत्येन्द्र पाण्डेय आठ घंटे काम,आठ घंटे मनोरंजन और आठ घंटे आराम औद्योगिक पूंजीवादी क्रांति ने सामंतवादी उत्पादन संबंधों को…
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एक सेल्फमेड विमेन थीं पंडिता रमाबाई
अंग्रेजी की पहली भारतीय महिला उपन्यासकार और सम्पादक- द इंडियन लेडीज़ मैगज़ीन –कमला सत्यानन्दन ने कहा था “रमाबाई भारत की…
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इतिहास की भूल नहीं,दमन का शिक़ार हुई पंडिता रमाबाई
समय और समाज को सत्य का आईना दिखाती पंडिता रमाबाई समय और समाज की आलोचना करना कभी भी आसान नही…
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जब महात्मा गांधी से मिले चार्ली चैपलिन
कल 16 अप्रैल को चार्लॊ चैपलिन की जन्मतिथि थी। गांधीजी से मुलाक़ात का असर उनपर दीर्घकालिक रहा, जो उनके सिनेमा…
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