People’s History
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पंडित नेहरू ने मेरी कविता पर वाहवाही सिर्फ एक बार दी थी- दिनकर
लाल किले पर कवि सम्मेलन हो रहा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। राष्ट्रकवि…
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डलहौजी के ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ का विरोध करने वाले, शेख भिखारी साहब
शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स का विरोध किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य…
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कामगारों और किसानों के नेता गांधी
1916 का पूरा साल गांधी जी ने एक भारतीय किसान-मजदूर की वेश-भूषा में, उनकी ही तरह रेलगाड़ी के तीसरे दर्जे…
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मौलना आज़ाद और राष्ट्रवाद पर भाषण
मौलना आज़ाद खुद को मुस्लिम नेता कहलाना पसंद नहीं था आज़ाद को। आज़ाद बहुत बड़े राष्ट्रवादी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक…
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सुभाषचंद्र बोस और पंडित नेहरू में क्यों हुई थी अनबन?
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव। गांधीजी मौलाना आजाद को इस पद पर देखना चाहते थे। आजाद ने जब नाम वापस…
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कितने साल जेल में रहे थे नेहरू
आज़ादी की लड़ाई में नेहरू के योगदान को लेकर अक्सर उठते हैं सवाल। उनके योगदान को रेखांकित करने के क्रम…
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गांधीजी ने क्यों कहा था, मैं हिन्दू क्यों हूँ ?
महात्मा गांधी अपने समय के उन व्यक्तियों में से है जो व्यक्तिवाद की सीमाओं के पार जाकर सामूहिकता की चेतना…
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मज़हब के ऊपर था ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान का राष्ट्रवाद
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान या बादशाह ख़ान उनलोगों में से थे, जो अविभाजित राष्ट्रवाद के साथ ही अविभाजित राष्ट्र…
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प्रिय पूंजीवाद, मार्क्स अभी अप्रासंगिक नहीं हुये है
मार्क्स यदि जीवित होते तो 5 मई 2018 को 202 वर्ष के हो गए होते। तो क्या? क्या मार्क्स के…
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भारत में गुप्तचर तंत्र का इतिहास
कहा जाता है कि दुनिया का सबसे पुराना पेशा है देह-व्यापार. देह-व्यापार से उत्पन्न परिस्थितियों में ईर्ष्या-द्वेष बढ़ा. ऐसी हालत…
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मई दिवस का गौरवशाली इतिहास: चुनौतियाँ आज भी बरक़रार
सत्यम सत्येन्द्र पाण्डेय आठ घंटे काम,आठ घंटे मनोरंजन और आठ घंटे आराम औद्योगिक पूंजीवादी क्रांति ने सामंतवादी उत्पादन संबंधों को…
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जब महात्मा गांधी से मिले चार्ली चैपलिन
कल 16 अप्रैल को चार्लॊ चैपलिन की जन्मतिथि थी। गांधीजी से मुलाक़ात का असर उनपर दीर्घकालिक रहा, जो उनके सिनेमा…
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुसलमान
आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस और मुसलमानों के रिश्ते को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है। शांतीमोय रे ने अपनी…
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सफ़दर हाशमी : न उनकी रस्म नई है, न अपनी रीत नई
1 जनवरी 1989, दिल्ली के पास साहिबाबाद। सफ़दर जन नाट्य मंच की अपनी टीम के साथ थे। ‘हल्ला बोल’ होना…
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पहली भारतीय ग़ुलाम: एक थी मीरा प्रवासी
[प्रवीण झा लिख रहे हैं प्रवासियों का वह इतिहास जो विस्मृतियों की गर्द में खो गया ] ग़ुलाम शब्द सुनते…
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