Edit Content

Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources

Editorial Address : 123 Kirpal Apartment, 44 IP Extension, Patparganj, Delhi -110092

N/A

Thursday November 21, 2024
लेडी आबला बोस

विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली लेडी अबाला बोस

अबाला बोस , रेडियो साइंस के पितामह जगदीशचंद्र बोस की जीवन संगिनी थीं। उन्होंने देश की महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों

जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद और गजाजन माधव मुक्तिबोध

मेरी माँ ने मुझे प्रेमचंद का भक्त बनाया-गजानन माधव मुक्तिबोध

वर्धा से प्रकाशित राष्ट्रभारती में कुछ संस्मरणात्मक टिप्पणी छपी थी। जिसे बाद में दस्तावेज अंक में संकलित किया गया था

कल्पना दत्त

अंग्रेज़ों के खिलाफ़ हथियार उठाने वालीं ‘कल्पना दत्त’ : जन्मदिन विशेष

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में हर वर्ग और समुदाय ने अपना योगदान दिया। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में सबने अपनी-अपनी

प्रेमचंद और गणेशशंकर विद्यार्थी

गणेशशंकर विद्यार्थी को प्रेमचंद की श्रद्धांजलि

प्रेमचंद और गणेश शंकर विद्यार्थी  दोनों  समकालीन थे। प्रेमचंद कानपुर के आर्यसमाजी हिन्दी पत्र प्रताप के संपादक गणेशशंकर विद्यार्थी के

भगत सिंह के परिवार को अपने घर पनाह देने वाले मौलाना हबीब-उर-रहमान

हिन्दुस्तान की आज़ादी के अज़ीम रहनुमा रईस उल अहरार मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी ने ‘इस्लाम ख़तरे में है’ के नारे के

अरुणा आसफ़ अली

भूमिगत होकर गुप्त रेडियो प्रसारण चलानेवाली,अरुणा आसफ़ अली

अरुणा आसफ़ अली को अपनी स्मृति में कैद करने के कई तरीके हो सकते हैं, मसलन उन्हें उस भद्र महिला

दुर्गाबाई देशमुख

संविधान सभा में 750 संशोधन प्रस्ताव रखने वाली, दुर्गाबाई देशमुख

आधी आबादी की दुनिया में कुछ महिलाओं ने अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने के लिए पहले अपने अंदर की संभावनाओं

Liyaqat Ali

1857 की गदर में इलाहाबाद के गुमनाम नायक मौलवी लियाक़त अली

1857 में मेरठ में प्रज्वलित होने वाली स्वतंत्रता संघर्ष की चिन्गारी सम्पूर्ण उत्तर भारत  में ज्वाला के समान धधक रही

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उलगुलान करने वाले सुरेन्द्र साए

सुरेन्द्र साए भारत के अग्रणी स्वाधीनता संग्राम सेनानी थे। 1857  के विद्रोह के 30 वर्ष पूर्व ही उन्होने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध ‘उलगुलान’ (आन्दोलन)

महिलाओं के शिक्षा को मौलिक अधिकार बताने वाली, हंसा मेहता

 हंसा मेहता को भारत के संविधान सभा सदस्य रही, जिन्होंने 14 अगस्त 1947 की अर्द्धरात्री को सत्ता के हस्तांतरण के

‘वंशवादी’ नेहरू ने इंदिरा को नहीं, सरदार पटेल की बेटी-बेटे को संसद भेजा था !

प्रो भानु कपिल  नरेंद्र मोदी की बीजेपी को इसके लिए धन्यवाद ज़रूर देना चाहिए कि उसने इतिहास में लोगों की

क्यों मनाही थी, गोलमेज यात्रा में गांधीजी के स्वागत में राष्ट्रीय झंडे रखने की

गांधी-इर्विन समझौते के बाद, महात्मा गांधी राष्ट्रीय महासभा (कांग्रेस) द्वारा एकमात्र प्रतिनिधि निर्वाचित होकर गोलमेज-परिषद में सम्मिलित होने इंग्लैड गये

इंजीनियर की नौकरी छोड़ क्रांतिकारी बने,मोहम्मद अली खान

इंजीनियर मोहम्मद अली खान की स्मृति अतीत के गर्भ में खो गई है, परन्तु उनका बलिदान नि: संदेह अभूतपूर्व था।कभी

वतन पर अंग्रेजी हकूमत बर्दास्त नहीं करने वाले मौलाना फ़जले हक़ ख़ैराबादी

मौलाना फ़जले हक़ ख़ैराबादी अपने ज़माने के एक बड़े रईस थे और बड़े आलिम थे। अरबी के शायर थे और

महारानी लक्ष्मी बाई के वफ़ादार पठान स्वतंत्रता सेनानी

भारत में अधिकांशत: ऐसे ही आज़ादी के मतवाले सफल रहे हैं, जिन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के नेतृत्व में भेद-भाव की

रूहेलखंड को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने वाले 70 साल के ख़ान बहादुर ख़ां

1857 में क्रांति की ज्वाला ने समूचे भारतवर्ष को झकझोर दिया था। उस समय ख़ान बहादुर ख़ां रुहेलखंड क्षेत्र के

नवाब वलीदाद ख़ान, जिन्होंने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए

मालागढ़ के नवाब वलीदादख़ान  क्रांति के उग्रतम नेताओं में से एक थे। वह दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह जफ़र के सम्बन्धी

देश के आज़ादी के लिए फांसी का फंदा चूमने वाले, नवाब नूर समद ख़ान

वर्तमान हरिणाया के समस्त क्षेत्र को 1857 की क्रांति की लहर ने झकझोर दिया था। 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी

अंग्रेज़ों और ज़मींदारों के विरूद्ध शमशेर ग़ाज़ी का विद्रोह

त्रिपुरा के शमशेर ग़ाज़ी का विद्रोह किसानों का संगठित विद्रोह था जिसका चरित्र सन्यासी विद्रोह से बिल्कुल अलग था। किसानों

कौन थे, 1857 क्रांति के प्रथम आदिवासी शहीद वीर नारायण सिंह

भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन एक ऐसा जन आन्दोलन था जो जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे उसकी शक्ति बढ़ती गई थी। यह