एक कामकाजी, एकल अभिभावक स्त्री की दिक्कतें- रमाबाई
उन्नीसवीं सदी भारत में पुनर्जागरण की सदी मानी जाती है। खासतौर पर महाराष्ट्र और बंगाल में इस दौर में समाज
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उन्नीसवीं सदी भारत में पुनर्जागरण की सदी मानी जाती है। खासतौर पर महाराष्ट्र और बंगाल में इस दौर में समाज
राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964) भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री और महिलाओं के हित की निरंतर समर्थक थीं।
औरत व आदमी भले ही एक दूसरे के पूरक हों लेकिन उनके स्वभाव में विरोधाभासों की कोई कमी नहीं
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के संघर्ष को रेडियो के नई तकनीक से जोड़ने वाली उषा मेहता अचानक इतिहास के पन्नों से
औपनिवेशिक दौर में भारतीय समाज में कमोबेश हर जातीय-धार्मिक समुदाय में महिलाओं के शिक्षा की एक जैसी ही स्थिति
राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला की महारानी थीं, पर उन्होंने स्वयं को एक महारानी के तरह ज़ाहिर नहीं किया,
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में क्रांतिमूर्ति दुर्गावती वोहरा का नाम प्रथम पंक्ति की महिला क्रांतिकारियों में लिया जाता है।
अय्यंकालि उन जाति-विरोधी योद्धाओं में से थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादियों और उनकी सत्ता से समानता का हक़ हासिल करने के लिए
विजयलक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। परंतु, उनकी अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान
“गोदुताई” ठाणे-पालघर क्षेत्र में पुराने वर्ली लोगों के बीच एक प्रसिद्ध नाम है। यह एक उपनाम था, जो प्यार से
अबाला बोस , रेडियो साइंस के पितामह जगदीशचंद्र बोस की जीवन संगिनी थीं। उन्होंने देश की महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों
भारत की अज़ादी की लड़ाई के दौरान कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने आज़ादी के साथ-साथ सामाजिक आंदोलनों को ज़रूरी
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में हर वर्ग और समुदाय ने अपना योगदान दिया। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में सबने अपनी-अपनी
आधी आबादी की दुनिया में कुछ महिलाओं ने अंधेरी दुनिया से बाहर निकलने के लिए पहले अपने अंदर की संभावनाओं
दुर्भाग्य है कि इतिहास अक्सर मर्दों का इतिहास बनकर रह जाता है। इसमें औरतों की भागीदारी के निशानात कहीं दर्ज़
सुचेता कृपलानी को अधिकांश लोग इस नाते ही जानते हैं कि उन्होंने एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की
हंसा मेहता को भारत के संविधान सभा सदस्य रही, जिन्होंने 14 अगस्त 1947 की अर्द्धरात्री को सत्ता के हस्तांतरण के
देश में महिलाओं के अधिकारों को लेकर हुए आन्दोलन का एक लंबा इतिहास रहा है। जिसको आयात किया हुआ विमर्श
1857 की जन-क्रांति के समय अज़ीज़न कानपुर में नर्तकी थी। उनका वैभव घुघरुओं की रुनझुन और संगीत के सुमधुर स्वर
विद्यागौरी नीलकंठ न तो पितृसत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोही थी न ही एक उत्साही नारीवादी, जैसा आज हम इस शब्द से
खुद पर आत्मविश्वास और हौसले के दम पर, असंभव लगने वाले काम को अंजाम दिया जा सकता है और सफलता
18वीं सदी में भारतीय शिक्षा के विषय पर गठित कमीशन जिसे भारतीय शिक्षा आयोग भी कहा गया। भारतीयों के शिक्षा
सामाजिक मुद्दों के लिए जीवन समर्पित करने वाली मृदुला साराभाई मृदला साराभाई वह महिला जो आजादी के आंदोलनों में सफेद
औपनिवेशिक भारत में जब आज का बांग्लादेश भारत का हिस्सा हुआ करता था, तब एक यूरोपियन क्लब के बोर्ड पर
मई दिवस यानी अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस। श्रम यानी सिर्फ़ मर्दों का श्रम? औरतों की मेहनत पर ध्यान क्यों नहीं जाता?
अंग्रेजी की पहली भारतीय महिला उपन्यासकार और सम्पादक- द इंडियन लेडीज़ मैगज़ीन –कमला सत्यानन्दन ने कहा था “रमाबाई भारत की
संविधान सभा में अहम भूमिका निभाने वाली महिला: अम्मू स्वामीनाथन अम्मू स्वामीनाथन संविधान तैयार करने के लिए 425
समय और समाज को सत्य का आईना दिखाती पंडिता रमाबाई समय और समाज की आलोचना करना कभी भी आसान नही
गुजरात के जनजातियों के दरिद्र, सुविधाहीन और सर्वथा उपेक्षित लोगों के उत्थान के लिए निस्वार्थ सेवा चार दशक तक करती
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर भारतीय चिंतन परंपरा में वह व्यक्ति है जिन्होंने महिलाओं के सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक-धार्मिक और जातिय बेड़ियों की
महात्मा गांधी के दो अंगेज बेटियों में से पहली नाम मीराबेन और दूसरी सरला बेन का नाम आता है। भारत
भारतीय कला में नवजागरण मुहिम छेड़ने वाली : कमला देवी चट्टोपाध्याय कल 3 अप्रैल को कमला देवी चट्टोपाध्याय का जन्मदिन
आज मणिबेन पटेल का जन्मदिन है। इतिहास उन्हें अक्सर सरदार पटेल की पुत्री के रूप में ही यदाकदा याद करता
अभिभावक – गणपत राव और गंगाबाईजोशी जन्म नाम यमुना 31 मार्च 1865 को पुणे में जन्म 31 मार्च 1874 को
[हाल ही में राजपाल एंड संस प्रकाशन से प्रकाशित सुजाता की पुस्तक ‘दुनिया में औरत’ दुनिया भर में औरतों की