साबरमती आश्रम को बचाना ज़रूरी है
साबरमती आश्रम महात्मा गांधी की वह धरोहर है जो हमें उनके मूल्यों और सिद्धांतों की याद दिलाती है। वह जगह जहाँ नेहरू, पटेल, सुभाष, मौलाना जैसे सभी महत्त्वपूर्ण स्वाधीनता सेनानी आते थे, गांधीजी के साथ मंत्रणाएं करते थे और देश की आज़ादी के लिए योजनाएं बनाते थे।
इतिहास का हिस्सा होती हैं धरोहरें। इन्हें सजाने के नाम पर बदला नहीं जाता। संरक्षण किया जाता है।
क़िलों पर रंग रोगन नहीं होता, कोशिश होती है उन्हें जैसा का तैसा बनाए रखने की ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें देख कर उस दौर के इतिहास और स्थापत्य को समझ सकें। संग्रहालयों में रखी मूर्तियों को सजाया नहीं जाता। पुरखों की तस्वीरों की एडिटिंग नहीं की जाती।
भारत सरकार 1200 करोड़ खर्च करके इसे पर्यटन स्थल बनाना चाहती है। जो नया बनेगा वह गांधी से कैसे जुड़ पाएगा? गांधी की सादगी का अपमान होगी वह तड़क-भड़क।
देशभर के गाँधीवादियों ने इसका विरोध किया है। क्रेडिबल हिस्ट्री की टीम उन सबके स्वर में स्वर मिलाते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार से आग्रह करती है कि यह योजना वापस ली जाए और आश्रम का संरक्षण किया जाए।
क्रेडिबल हिस्ट्री का प्रोजेक्ट जनसहयोग से ही चल सकता है। जनता का इतिहास जनता ही लिखेगी और जनता को ही इसकी जिम्मेदारियाँ उठानी होंगी।
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