एक भारतीय हीरे की कहानी जिसने ब्रिटेन को दो-दो प्रधानमंत्री दिये
भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था ऐसा हम बचपन से बड़े बुजुर्गों से सुनते और फिर किताबों में पढ़ते आ रहे है। भारत के स्वर्णिम अतीत की ये कथाएं कोई कोरी कल्पना नही है। विदेशियों द्वारा लगातार किये जाने वाले आक्रमण और लूटपाट में लूटे गए सोने, हीरे – जवाहरात इस बात के सबूत है।
प्राचीन काल से ही भारतीयों का सोने के प्रति विशेष लगाव रहा है, और यही कारण है कि सोने को लेकर भारतीयों कर विशेष प्रेम के कारण हीरों से जुड़ी ऐतिहासिक तथ्यों और कहानियों को शायद उतना महत्व नही मिला। जबकि 1725 में ब्राज़ील में हीरे की खान की खोज के पहले पूरी दुनिया के हीरों का एक मात्र स्रोत भारतीय उपमहाद्वीप हुआ करता था।
जब कभी भारत से जुड़े हीरों की बात आती है तो हमे केवल कोहिनूर हीरा ही याद आता है जो कभी मुग़ल बादशाह के मयूर सिंहासन का हिस्सा हुआ करता था, जिसे 1736 में नादिरशाह लूट कर ईरान ले गया और फिर वहाँ से वह बाद में अफ़गानों के हाथ लगा। बाद में यही कोहिनूर हीरा अफ़गानों से महाराजा रणजीत सिंह को प्राप्त हुआ जिसे 1849 में कंपनी और दिलीप सिंह के बीच हुई लाहौर संधि के बाद महाराजा रणजीत सिंह के बेटे दिलीप सिंह ने कंपनी को सौंप दिया ।
लेकिन यह कहानी एक और हीरे की है
पर कोहिनूर के अंग्रेजों के हाथ लगने के करीब डेढ़ सदी पहले 1702 में भारतीय हीरे को ब्रिटेन में पहचान दिलाने का काम एक ब्रिटिश अधिकारी थॉमस पिट ने दिया।
तो कहानी कुछ यूं है कि थॉमस पिट मद्रास का गवर्नर था। 1702 में मुगल बादशाह की गोलकुंडा की खान से निकले एक 410 कैरेट के हीरे को अपने क़ब्ज़े में कर लिया।
शशि थरूर अपनी किताब ” अंधकार काल- भारत मे ब्रिटिश साम्राज्य” में लिखते है कि “थॉमस पिट ने इसे 24000 पाउंड में खरीदा था। जो उस वक़्त के 99% ब्रिटिश जनता की पहुँच से बाहर था।”
इस हीरे को ” पिट डायमंड” के नाम से जाना जाता है। ब्रिटेन में इस हीरे के बारे में काफी अफ़वाहें भी चली जिसमें एक यह थी कि यह हीरा एक हिन्दू देवता की आँख से चुराया गया था अथवा हीरे की खान में काम करने वाले एक दास ने अपनी जांघ में घाव कर हीरे को उसमे छिपा कर तस्करी कर खदान से बाहर लाया था।
बदल दी हीरे ने क़िस्मत
असलियत जो भी हो पर हीरा हाथ लगते ही पिट ने उसे पानी के जहाज से ब्रिटेन भेज दिया। हीरे के ब्रिटेन पहुचने के बाद उसने कंपनी की नौकरी छोड़ दी और एक बड़ा इस्टेट तथा संसद की एक सीट खरीद ली।
बाद में पिट ने उस हीरे को 1 लाख 35 हजार पाउंड में फ्रांस के प्रिंस रीजेंट को बेच दिया जिसने उसे फ्रांस के राजमुकुट में लगा दिया। इस एक हीरे को बेच कर मिली अकूत संपत्ति ने पिट परिवार को ब्रिटेन में नई ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया।
एक भारतीय हीरे ने एक ब्रिटिश घराने को एक ऐसा वित्तीय स्प्रिंगबोर्ड प्रदान किया कि जिसने बहुत कम समय में ब्रिटेन को एक नहीं दो – दो प्रधानमंत्री दिये।
इनमे पहला था थॉमस पिट का पोता विलियम पिट ” फर्स्ट अर्ल ऑफ चेटहम” (1708-1778) जो 1766 से 1768 तक ब्रिटेन प्रधानमंत्री रहा। दूसरा था विलियम पिट का बेटा “विलियम पिट दि यंगर” (1759 -1806) जो महज 24 साल की उम्र में 1783 में ब्रिटेन का सबसे युवा प्रधानमंत्री बना।
स्रोत
1-अंधकार काल- भारत में ब्रिटिश साम्राज्य – शशि थरूर
2- भारतीयता की ओर- पवन कुमार वर्मा
शासकीय नौकरी और इतिहास में गहरी रुचि।