Charlie ChaplinFilmGandhiPeople's History

जब महात्मा गांधी से मिले चार्ली चैपलिन

कल 16 अप्रैल को चार्लॊ चैपलिन की जन्मतिथि थी।  गांधीजी से मुलाक़ात का असर उनपर दीर्घकालिक रहा, जो उनके सिनेमा पर भी दिखता है। 

 

चार्ली चैपलिन के मंचीय नाम से मशहूर हुए सर चार्ल्स चैपलिन, जो मनोरंजन के मशहूर सिनेमाई किंदवंती बन चुके थे। राजनीतिक किवदंती, एक वकील और एक देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मिलने, जब 1931 में गोलमेज सम्म्मेलन के लिए लंदन में थे, डाक्टर कान्तिलाल के फ्लैट पर, जहां गांधीजी ठहरे से, वहां पहुंचे। कह सकते है यह अपने समय के दो महान दिग्गजों की मुलाकात थी।

 

 क्या हुआ जब चार्ली चैप्लिन, गांधीजी से मिले

पहली बार जब चार्ली चैपलिनने गांधीजी से मिलने का समय मांगा, गांधीजी ने मना कर दिया। जब गांधीजी को चैपलिन के काम और गरीबों के पक्षधरता के बारे में बताया गया तब वे राजी हुए। जाहिर है महात्मा गांधी फिल्मों के प्रसंशक नहीं थे, इसलिए चैपलिन के कामों के बारे में जानकारी नहीं रही होगी।

अरविंद मोहन अपनी किताब ”गांधी और कला“ में बताते है- 22 सितंबर को डां कान्तिलाल के छोटे से फ्लैट में चैपलिन आए। दुनिया भर के फ्रोटोग्राफर वहां पहुंचे हुए थे। चैपलिन तैयार होकर आए थे।

महादेव देसाई 8 अक्टूबर 1931 के यंग इण्डिया में लिखते है कि चैपलिन ने गांधी से पहला सवाल चरखा और मशीन पर पूछा।[i] गांधीजी के लिए उनको संतुष्ट करना मुश्किल नहीं था।[ii] महादेव देसाई आगे लिखते है, चैपलिन के तरह बिना पूर्वग्रह के कम ही लोग यह सवाल पूछते हैं,  इसलिए उनको मुतमइन करने में ज़्यादा मुश्किल नहीं आई।

भेंट के बाद  चैपलिन ने कहा,- गांधी वाज द मोस्ट इण्टरटेनिंग परसन आई हैड मेट।[iii] इस मुलाकात का ज़िक्र मुरियल लेस्टर ने भी किया है जो गांधी के साथ थी।

आत्मकथा माई आंटोबायोग्राफी  दर्ज है यह मुलाकात

चार्ली चैपलिन ने गांधीजी से अपने मुलाकात के बारे में अपनी आत्मकथा माई आंटोबायोग्राफी में बड़े प्यार से लिखा है। ”ईस्ट इंडिया डांक रोड से दूर झुग्गी जिले में एक विनम्र से घर में मिले थे…प्रेस और फोटोग्राफर दोनों मंजिलों से भरे हुए थे।“ महात्मा गांधी उपकरणों के दुरुपयोग के  विरोध में थे और चैपलिन ने उनसे उसीके बारे में पूछा, मशीनरी के प्रति घृणा पर उनके विचार, जिसका महात्मा ने उत्तर दिया।

अब तक मशीनरी ने हमें इंग्लैड पर निर्भर बना दिया है, और उस निर्भरता से छुटकारा पाने का एक तरीका यह है कि हम उपकरणों द्वारा बनाई गई सभी वस्तुओं का बहिष्कार करें।

मशीनरी पर गांधी के विचार सुनकर चैपलिन से किताब में आगे लिखा,

मैंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में सामरिक पैंतरेबाज़ी में एक स्पष्ट सबक प्राप्त किया, एक व्यावहारिक, पौरुष-दिमाग वाले दूरदर्शी से प्रभावित होकर, इसे दृढ़ता से थामे रखने के लिए।

उन्होंने महात्मा गांधी के साथ प्रार्थना में भी भाग लिया और उस किवदंती के बारे में लिखा जिसने उन्हें प्रभावित किया –

क्या विरोधाभास है, मैंने सोचा, जैसा कि मैंने इस अत्यंत उचित व्यक्ति को देखा, साथ ही उनके चतुर कानूनी विचारों और राजनीतिक वास्तविकता की उनकी गहरी समझ के साथ, जो सभी एक गायन-गान में फीका लग रहा था।

यह कहा जा सकता है कि महात्मा गांधी और चार्ली चैपलिन के बीच उपकरणों के उपयोग के बारे में एक हल्का तर्क था लेकिन अंत में, अभिनेता गांधी के असर में था।

इस मुलाकात के पाँच साल बाद चैपलिन की फिल्म आई मार्डन टाइम्स, जिसपर गांधीजी के हुई बातचीत और गांधी के विचारों का साफ़ प्रभाव दिखता है। कई लोग चैपलिन की फिल्म द ग्रेट डिक्टेटर पर भी गांधीजी के विचारों का असर का मूल्यांकन करते हैं, क्योंकि इसमें हिटलर से लड़ाई अहिंसक ही रहती है।


संदर्भ स्त्रोत

[i] अरविंद मोहन, गांधी और कला, सेतु प्रकाशन,2021, पेज न.156

[ii] अरविंद मोहन, गांधी और कला, सेतु प्रकाशन,2021, पेज न.155

[iii]  वही, पेज न-156

 

Editor, The Credible History

जनता का इतिहास, जनता की भाषा में

Related Articles

Back to top button