Tribute
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सफ़दर हाशमी : न उनकी रस्म नई है, न अपनी रीत नई
1 जनवरी 1989, दिल्ली के पास साहिबाबाद। सफ़दर जन नाट्य मंच की अपनी टीम के साथ थे। ‘हल्ला बोल’ होना…
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1 जनवरी 1989, दिल्ली के पास साहिबाबाद। सफ़दर जन नाट्य मंच की अपनी टीम के साथ थे। ‘हल्ला बोल’ होना…
Read More »ओम थानवी एस. एन. सुब्बराव नहीं रहे। जयपुर में आज उन्होंने आख़िरी साँस ली। गांधीजी के वे चलते-फिरते दूत थे।…
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