Urdu Poetry
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ग़ालिब-ए-ख़स्ता के बग़ैर
जब कभी सोचता हूँ कि ग़ालिब कौन है तो ग़ालिब की ही तरह दिमाग़ ख़ुद ही सवाल कर बैठता है…
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जब कभी सोचता हूँ कि ग़ालिब कौन है तो ग़ालिब की ही तरह दिमाग़ ख़ुद ही सवाल कर बैठता है…
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