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फूलमनी की मौत और विवाह के लिए न्यूनतम आयु का क़ानून

यह तो सब जानते हैं कि ब्रिटिश सरकार ने ‘विवाह के लिये न्यूनतम आयु का क़ानून’ 19 मार्च 1891 को बनाया और लड़कियों की शादी की न्यूनतम क़ानूनी उम्र 12 साल तय की।

 

लेकिन आमतौर पर धार्मिक मामलों से दूर रहने वाली ब्रिटिश सरकार ने यह क़ानून क्यों बनाया?

इसके पीछे एक क़िस्सा है।

1889 में एक दस साल की बच्ची फूलमनी की शादी हरिमोहन मैती से हुई जिसकी उम्र 30 साल से ज़्यादा थी। सुहागरात को पति ने उस बच्ची से ज़बरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध बनाए। उसी रात अधिक रक्तस्राव से फूलमनी की मौत हो गई।

मामला अदालत में गया। हरिमोहन पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगा और ऐसी शादियों के लिए ‘हरिमैती शादी’ का टर्म प्रचलित हो गया।

लेकिन अदालत में बलात्कार का आरोप नहीं टिका क्योंकि 1860 में बने क़ानून की धारा 375 में 10 साल की बच्ची के वैवाहिक बलात्कार को बलात्कार नहीं माना जाता था।

इसीलिए ब्रिटिश सरकार ने 12 साल की उम्र विवाह के लिए निर्धारित कर इससे कम आयु की लड़की के साथ सहमति या असहमति से हुए शारीरिक संबंधों को बलात्कार की श्रेणी में रखा।

नोट

यह क़ानून सभी धर्मों पर लागू होता था।


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इस पोस्ट का स्रोत

The Great Repression, Chitranshul Sinha, Penguin

Editor, The Credible History

जनता का इतिहास, जनता की भाषा में

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