जब सरदार पटेल ने दी आरएसएस को चेतावनी
आजादी के तुरंत बाद, भारत को दक्षिणपंथ की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। गृहमंत्री सरदार पटेल को आरएसएस से शुरू से ही परेशानी थी और वह परेशानी ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि वह राष्ट्रवाद के वेश में आई थी। पटेल ने संघ से के राष्ट्र और राष्टवाद की परिभाषा को चुनौती देते हुए चेतावनी भी दी कि वह चाहता है कि हिन्दू-राष्ट्र या हिन्दू-संस्कृति जबरन लोगों पर थोपा जाएँ। इसे कोई भी सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती।
देश में शान्ति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए साथ काम करने की ज़रूरत है
1949 में मद्रास में दिया गया उनका भाषण, जिसमें दक्षिणपंथ के खतरे की बात कही थी। वे मुश्किल भरे दिन थे और सरदार पटेल से बहुत ही स्पष्ट तौर पर कहा था कि भारत नया देश है और हम सभी भारतीय है और हमारे बीच कोई भेदभाव नहीं हैं।
एकता के लिए हमें जाति और धर्म के भेद को भूलकर एक बात याद रखनी चाहिए कि हम सभी भारतीय हैं और सभी एक समान है। आज़ाद मुल्क में इन्सान-इन्सान में भेद नहीं हो सकता है। सभी को समान अवसर, समान अधिकार और समान दायित्व मिलने चाहिए। वैसे व्यावहारिक रूप में यह हो पाना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन हमें उस लक्ष्य को पाने की दिशा में लगातार कोशिश करते रहना चाहिए।
देश में शान्ति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमें एक और काम करने की जरूरत है। जब तक हम अपने पैरों पर खड़े न हो जाएँ तब तक हमें सरकार को धमकी नहीं देनी चाहिए।
अगर हम अलग-अलग समूहों द्वारा अपनी मांग मनवाने के लिए हर दिन सरकार को चुनौती मिलने लगेगी तो हम काम ही नहीं कर पाएंगे। अपनी सोच के अनुसार वे जो चाहते हैं, हो सकता है वह अच्छा हो लेकिन गांधीजी ने हमारे सामने यह आदर्श रखा है कि हम जो पाना चाहते हैं उसे शान्तिपूर्ण व सत्य और अहिंसा के द्वारा पाने की कोशिश करें।
अगर लोग सरकार को चुनौती देने लगें और सरकार को ज़बरदस्ती उखाड़ फेंकने की कोशिश करने लगें तो सरकार कोई रचनात्मक काम कर ही नहीं पाएगी। इस देश में ऐसी ताक़तें मौजूद हैं जो देश को मज़बूत करने की बजाय अराजकता और अव्यवस्था पैदा करने की कोशिश करेंगी।
देश के नागरिक के रूप में हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें
सरकार आरएसएस के आन्दोलन से निपट रही है। वे जोर-जबरदस्ती से इस देश को हिंदू-राष्ट्र बनाना या हिन्दू- सस्कृति को लागू करना चाहते हैं। कोई भी सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
देश के बंटवारे के बाद जितने मुसलमान इस देश को छोड़कर गए हैं उतने ही मुसलमान आज भी इस देश में रहते हैं। हम उन्हें निकाल नहीं सकते हैं। बंटवारे के बाद और उसके अलावा को कुछ भी हुआ है, अगर हम ऐसा करते हैं तो बहुत बड़ा अशुभ दिन होगा।
हमें यह समझना ही होगा कि उन्हें यहीं रहना है और यह हमारा दायित्व है कि उन्हें हम यह महसूस करवाएँ की यह उनका अपना देश हैं। बेशक उनकी भी जिम्मेदारी है कि वे इस देश के नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।
बंटवारे के लिए सहमत होना देश के लिए भला हुआ है
यह समझने की जरूरत है कि हमने अभी-अभी विभाजन को झेला है और यह हमारे साथ जुड़ा ही रहेगा। ईमानदारी से पूछिए तो मैं मानता हूँ कि यह दोनों नए देशों के लिए अच्छा हुआ कि हमें स्थायी रूप से झगड़ा-झंझट और दूसरी परेशानियों से मुक्ति मिल गई।
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दो सौ वर्षो की गुलामी में प्रशासन ने हमारे लिए ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि हम एक-दसरे से दूर होते चले गए। यह अच्छा हुआ कि तमाम बुराईयों के वाबजूद हम बंटवारे के लिए राजी हो गए, विभाजन पर सहमति देने से मुझे कभी अफसोस नहीं हुआ है।
संयुक्त प्रशासन के एक वर्ष के अनुभव के बाद हम विभाजन के लिए सहमत नहीं हुए, मुझे पता है कि अगर हम विभाजन के लिए सहमत नहीं हुए होते तो हम गम्भीर चूक करते और इसका अफ़सोस बना रहता।
परिणामस्वरूप सिर्फ दो देशों का विभाजन नहीं हुआ होता बल्कि इसके कई टुकड़े हो जाते। इसलिए कुछ लोग जो भी कहें, मुझे यकीन है कि बंटवारे के लिए सहमत होना देश के लिए भला हुआ है।
जब सरदार पटेल ने आरएसएस को खुली पेशकश की
मैंने आरएसएस को खुली पेशकश की है: अपनी योजना बदलो, गोपनीयता छोड़ो, साम्प्रदायिक संघर्ष छोड़ो, भारत के संविधान का सम्मान करो, झंडे के प्रति अपनी वफादारी दिखाओ और हमें यकीन दिलाओ कि हम तुम्हारे कहें पर विश्वास कर सकें। कहोगे कुछ करोगे कुछ, यह खेल हम नहीं खेलने देगे।
आजादी के एक साल के भीतर हमें कई चीजों का अनुभव हुआ है और हमने कई सबक भी सीखे है। चाहे वह दोस्त हों या दुश्मन, चाहे वे हमारे सगे व लाड़ले जवान बच्चे ही क्यों न हों, हम उन्हें आग से खेलने की इजाजत नहीं देंगे कि घर में ही आग लग जाए। युवाओं को हिंसा और विनाश काम में शामिल होने की अनुमति देना अपराध होगा। हमने अपने पड़ोसी देश से जो सबक सीखा है उसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे। मैंने आरएसएस से इसी रूप में बात की है।
हमारे सिख दोस्त भी है। उन्होंने भी हमें धमकाया हैं, चुनौतियाँ भी दी है। वे भारत के एकमात्र समुदाय हैं जिन्हें संविधान सभा ने ध्वनिमत से हथियार रखने की इजाजत दी है। किसी और समुदाय को तलवार या कृपाण रखने की अनुमति नहीं है।
हमने ऐसा क्यों किया? इसलिए नहीं कि वे सरकार को बल प्रयोग करने की धमकी देने लगें। सरकार किसी को भी सत्ता सौंपने को तैयार है बर्शते वह अपनी साथ जनता की जोड़ ले। लेकिन अगर कोई आदमी झूठ बोले और लोकप्रिय सरकार को धमकी दे तो सरकार जनता को निराश नहीं करेगी…
संदर्भ
Sardar Vallabhbhai Patel, Selected Speeches and Writings of Vallabhbhai Patel, Penguin Random House India Private Limited, 2017
जनता का इतिहास, जनता की भाषा में