भारतमाता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारण थी
पंडित नेहरू देश के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक है। इस अपार फैलाव के बीच एकता के क्या आधार हैं और क्यों भारत एक देश है, जिसके सभी हिस्सों की नियति एक ही तरीके से बनती-बिगड़ती है। उन्होंने भारत माता शब्द पर भी विचार किया तथा यह निष्कर्ष निकाला कि भारत माता की जय का मतलब है-यहाँ के करोड़ों-करोड़ लोगों की जय।
जब भीड़ ने पंडित नेहरू को घेर लिया
रात हो चुकी थी। दिल्ली पहुँचकर ट्रेन पकड़नी थी, इसलिए हम लोग रोहतक-दिल्ली सड़क पर तेजी से चले जा रहे थे। मुझे बार-बार झपकी आ जाती थी। अचानक हमारी गाड़ी रुक गई।
हमारे सामने रास्ते में आदमियों और औरतों की भीड़ जमा थी। उनमे से कुछ के हाथों में टार्च थी। वे हमारे पास आये। जब उन्हें यकीन हो गया कि हमलोग कौन हैं, तब उन्होंने हमें बताया कि वह यहाँ पर दोपहर से ही बैठे हमारा इंतजार कर रहे हैं। ये लोग हट्टे-कठ्ठे जाट थे, जिनमें कई छोटे-मोटे जमींदार थे। उनसे बातचीत किए बिना आगे जाना मुश्किल था। हम गाड़ी से बाहर निकले और घुप अंधेरे में इनलोगों में शामिल हो गए। ये लोग करीब एक हजार रहे होगे।
किसी ने आवाज़ लगाई, कौमी नारा। उस पर इन एक हजार ने जोरदार आवाज़ में तीन बार जवाब दिया, वंदे मातरम और भारत माता की जय और कई दूसरे नारे सुनने को मिले।
यह सब किसके बारे में है, मैने उनसे कहा वंदेमातरम और यह भारत माता की जय, यह सब क्या है?
जब भीड़ से पंडित नेहरू ने पूछा कौन है भारत माता
सब चुप। उन्होंने मेरी ओर देखा और फिर वे सब एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। मुझे लगा कि वे मेरे इस सवाल से परेशान से हैं। मैंने उनसे अपना यह सवाल फिर किया, ये नारे लगाने से आपका क्या मतलब है? वे फिर भी चुप रहे। उस इलाके में कांग्रेस का कार्यकर्ता झुंझला रहा था। उसने मुझे इस बारे में कुछ बताने की कोशिश की, लेकिन मैने ज्यादा नहीं बोलने दिया।
यह माता कौन है? आप सब किसकी जय बोल रहे हैं? मैने जोर देकर पूछा। फिर भी वे चुप रहे। वह भौंचक्के से थे। यह अजीबो-गरीब सवाल उनसे पहले कभी नहीं किये गये थे। वह हर बात मान लेते थे, जब उनसे नारे लगाने के लिए कहा जाता, तब बिना कुछ समझने की कोशिश किये वे नारा लगाने लगते थे।
अगर कांग्रेस के लोग उनसे जोर और पूरी ताकत से नारा लगाने के लिए कहें तो वह क्यों नहीं ऐसा करें? यह नारा एक अच्छा नारा था। इससे उनमें जोश पैदा होता और शायद इससे उनके विरोधियों में घबराहट होती थी।
मैं फिर भी अपने सवाल पर अड़ा रहा, तब एक आदमी ने बड़ी हिम्मत बाँधकर कहा कि माता का मतलब धरती से है। इस किसान का इशारा जमीन की तरफ था, जो उसकी असली माँ और उसका सहारा होती है।
यह वेबसाईट आपके ही सहयोग से चलती है। इतिहास बदलने के खिलाफ़ संघर्ष में
वेबसाइट को SUBSCRIBE करके
भागीदार बनें।
लंबा-चौड़ा मुल्क हम सबके लिए, जो यहाँ रहते हैं, हिन्दुस्तान है, भारत माता है।
कौन-सी धरती मां? मैने फिर पूछा, वह धरती जो तुम्हारे गाँव की है, पंजाब की है, या यह पूरी दुनिया की धरती? वे मेरे इस घुमा-फिराकर पूछे गये सवाल से चकरा गए और परेशानी महसूस करते लगे और उसके बाद कई लोग एक साथ बोल पड़े कि इसके बारे में मैं उन्हें बताऊँ। वे कुछ भी नहीं जानते थे और हर बात को समझना चाहते थे।
मैंने उन्हें हिन्दुस्तान के बारे में बताया कि वह दूर-दूर तक उत्तर में कश्मीर और हिमालय से लेकर दक्षिण में लंका से हिन्दुस्तान तक फैला हुआ है, इसमें पंजाब, बंगाल, बबंई और मद्रास जैसे बड़े-बड़े सूबे हैं। इस लंबे-चौड़े मुल्क में उन जैसे लाखों किसान हैं जिनके सामने भी ही सवाल, वही मुश्किलें, बेइंतिहा गरीबी और दुख-तकलीफें हैं, जो उनके सामने हैं। लंबा-चौड़ा यही मुल्क हम सबके लिए, जो यहाँ रहते हैं, हिन्दुस्तान है, भारत माता है। हम सब इसके बच्चे हैं।
भारत माता कोई औरत नहीं है, जो रंगीन तस्वीरों में सुंदर और उदास दिखाई जाती है और जिसके लंबे केश जमीन पर छूते दिखाये जाते हैं।
भारत माता की जय। हम किसकी जय पुकारतें हैं? क्या उस काल्पनिक स्त्री की, जिसका कोई वजूद नहीं है। तो फिर क्या यह हिन्दुस्तान के पहाड़ों, नदियों, रेगिस्तानों, पेड़-पौधों और पत्थरों की जय है? नहीं उन्होंने जवाब दिया, लेकिन वे मुझे कोई पुख्ता जवाब नहीं दे सके।
मैंने उनसे कहा, निश्चिय ही हम हिन्दुस्तान में लाखों-करोड़ों लोगों की जय मनाते हैं, जो उसके गांवों और शहरों में रहते हैं। मेरा जवाब उन्हें अच्छा लगा और उन सबसे महसूस किया कि यहीं ठीक है।
ये लोग कौन हैं? बेशक आप और आपके जैसे बहुत से लोग और इसलिए जब भारत माता की जय का नारा लगाते हैं, तब आप अपनी और इस सारे हिन्दुस्तान में बसने वाले हमारे भाईयों और बहनों की जय का नारा लगाते है।
याद रखिए कि आप ही भारत माता है और यह आपकी जय है। वे बड़े ध्यान से ये बातें सुन रहे थे और लग रहा था जैसे इन किसानों के भोले-भाले ज़हन में कोई रोशनी उतर रही है।
उसके लिए यह ताजुज्ब की बात थी कि जो नारा वह अब तक लगाते चले आ रहे थे वह उन्हीं के बारे में था। जी हाँ, वे रोहतक जिले के एक गाँव के गरीब जाट किसानों के बारे में था। यह उन्हीं की जय थी।
तब फिर आइए, हम सब मिल एक बार फिर यह नारा एक दूसरे की शुभकामाना करते हुए लगायें-भारत माता की जय।
जनता का इतिहास, जनता की भाषा में