गोडसे ने गांधी को क्यों मारा?
महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे एक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य के साथ हिन्दू महासभा से भी जुड़ थे। नाथूराम कहीं न कहीं उग्र हिंदूवादी विचारधारा से प्रभावित थे। नाथूराम गोडसे को लगता था, कि महात्मा गांधी मुस्लिमों को हिंदुओं की अपेक्षा अधिक ध्यान देते हैं। यही नहीं बल्कि गोडसे भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर भी गांधी जी को ही दोषी मानते थे।
30 जनवरी 1948 की वह सुबह जब दिल्ली के बिड़ला हाउस स्थित प्रार्थना स्थल पर नाथूराम गोडसे द्वारा लगातार तीन गोलियां चलाई गई और उस गोलियों ने महात्मा गांधी की जिंदगी छीन ली। कहते हैं, जैसे ही गांधी मंच की ओर चले वैसे ही गोडसे भारी भीड़ से निकलकर गांधी के रास्ते पर आकर, उन पर गोलियां चला दीं। तत्काल गांधी जी जमीन पर गिर गए और उन्हें बिड़ला हाउस में उनके कमरे में ले जाया गया। कुछ समय बाद ही पता चला की महात्मा गांधी की मृत्यु हो गई है। उसी समय गोडसे को भीड़ ने पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया।
गांधी हत्या का मुकदमा मई 1948 में दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में शुरू किया गया और जिसमें गोडसे, मेन डिफ़ेन्डन्ट और उसके सहयोगी नारायण आप्टे और छह अन्य सह-प्रतिवादी माने गये। 8 नवंबर, 1949 को गोडसे और आप्टे दोनों को मौत की सजा कर 15 नवंबर 1949 को गोडसे और आप्टे दोनों हत्यारों को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई।
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