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महात्मा गांधी और राष्ट्रीय एकता

 

देश में तेजी से गहराते सांप्रदायिक विभाजन के संदर्भ में महात्मा गांधी के चिंतन और विचारों की अहमियत और अधिक बढ़ जाती है। वह एकमात्र यौद्धा है जिन्होंने कभी कभी हार नहीं मानी। सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ लगातार संघर्ष करते रहे और स्थितियां कितनी ही कठिन क्यों न होंउनका सपना था स्वाधीन भारत में एकतासद्भाव और सौहार्द। 

आज हमें गांधीजी को याद करते हुए अपने अंदर झांकने की जरूरत है। अपने समाज और अपनी  राज्य सत्ता  की ओर देखने की जरूरत है। क्योंकि हम एक राष्ट्र की हैसियत से कोई कदम नहीं उठा पा रहे हैं? क्यों समाज और राज्य सत्ता के विभिन्न अंग अपने-अपने हित में कुछ न कुछ हलचल करते रहते हैं-अधिकतर एक-दूसरे के विरोध में

 

 

Editor, The Credible History

जनता का इतिहास, जनता की भाषा में

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