Freedom Movement

फाँसी के तख़्ते से शहीद अशफ़ाक़-उल्ला खान का देश के नाम संदेश

[यह सन्देश 16 दिसम्बर, 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल से यह सन्देश 16 दिसम्बर, 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल से देशवासियों के लिए भेजा गया।]

भारतमाता के रंगमंच पर हम अपनी भूमिका अदा कर चुके हैं। ग़लत किया या सही, जो भी हमने किया, स्वतन्त्रता प्राप्ति की भावना से प्रेरित होकर किया। हमारे अपने (अर्थात कांग्रेसी नेता) हमारी निन्दा करें या प्रशंसा, लेकिन हमारे दुश्मनों तक को हमारी हिम्मत और वीरता की प्रशंसा करनी पड़ी है। लोग कहते हैं हमने देश में आतंकवाद (Terrorism) फैलाना चाहा है, यह गलत है। इतनी देर तक मुक़दमा चलता रहा। हमारे में से बहुत से लोग बहुत दिनों तक आज़ाद रहे और अब भी कुछ लोग आज़ाद हैं (संकेत चन्द्रशेखर आज़ाद की ओर है।-सं ) फिर भी हमने – या हमारे किसी साथी ने हमें नुक़सान पहुँचाने वालों तक पर गोली नहीं चलायी। हमारा उद्देश्य यह नहीं था। हम तो आज़ादी हासिल करने के लिए देशभर में क्रान्ति लाना चाहते थे।

जजों ने हमें निर्दयी, बर्बर, मानव-कलंकी आदि विशेषणों से याद किया है। हमारे शासकों की क़ौम के जनरल डायर ने निहत्थों पर गोलियाँ चलायी थीं और चलायी थीं बच्चों, बूढ़ों, व स्त्री-पुरुषों पर । इन्साफ़ के इन ठेकेदारों ने अपने इन भाई-बन्धुओं को किस विशेषण से सम्बोधित किया था? फिर हमारे साथ ही यह सलूक क्यों?

हिन्दुस्तानी भाइयो! आप चाहे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय को मानने वाले हों, देश के काम में साथ दो! व्यर्थ आपस में न लड़ो। रास्ता चाहे अलग हों, लेकिन उद्देश्य सबका एक है। सभी कार्य एक ही उद्देश्य की पूर्ति के साधन हैं, फिर यह व्यर्थ के लड़ाई-झगड़े क्यों? एक होकर देश की नौकरशाही का मुक़ाबला  करो अपने देश को आज़ाद कराओ। देश के सात करोड़ मुसलमानों में मैं पहला मुसलमान हूँ* जो देश की आज़ादी के लिए फाँसी चढ़ रहा हूँ, यह सोचकर मुझे गर्व महसूस होता है।  

 

अंत में सभी को मेरा सलाम। हिंदुस्तान आज़ाद हो। मेरे भाई  खुश रहें।

आपका भाई

अशफ़ाक़

 

 

*ऐतिहासिक तथ्य यह है कि सौ के क़रीब मुसलमान ग़दर पार्टी में शहीद हुए और हज़ारों 1857 के आंदोलन में। लेकिन अशफ़ाक़ को कमज़ोर करने और धोखा देने के लिए पुलिस ने एक बार उनसे कहा था कि शहीद होने वाले तुम एकमात्र मुसलमान हो, शायद इसीलिए उन्होंने यह लिखा है।

 


स्रोत

पेज 524-25, भगत सिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़, (सं) सत्यम वर्मा, राहुल फाउंडेशन


 

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