एटनबरो की फिल्म गांधी से जुड़ी कुछ रोचक कथाएं
रिचर्ड एटनबरो एक शिक्षक ( कॉलेज प्रिंसिपल) के पुत्र थे। वह अभिनेता भी थे, फ़िल्म निर्देशक भी। उनकी चरम
Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources
Editorial Address : 123 Kirpal Apartment, 44 IP Extension, Patparganj, Delhi -110092
N/A
रिचर्ड एटनबरो एक शिक्षक ( कॉलेज प्रिंसिपल) के पुत्र थे। वह अभिनेता भी थे, फ़िल्म निर्देशक भी। उनकी चरम
अकसर ऐसा होता है कि जो इतिहास रचता है, उसका इतिहास में नाम नहीं होता, लेकिन जो इतिहास रचता है
हमारे लम्बे इतिहास में हमारे देश में बहुत से महापुरुष हो गए हैं। यह निस्संकोच कहा जा सकता है
शेरशाह के शासन में सुलेमान कर्रानी बिहार का सूबेदार था। सूरी वंश के पतन के पश्चात् उसने बंगाल में
सुभाष और जवाहरलाल दोनों में से एक को निर्वासन और दूसरे को जेल में रहना पड़ा था; वर्ष 1934
एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने
ग्वालियर से 120 कि०मी० दूरी पर स्थित शिवपुरी किले के कवायत के मैदान में ब्रिटिश टुकड़ियों ने अपने खेमे गाड़
[ यह भाषण गांधी ने 16 मार्च, 1931 को मुम्बई में मजदूरों की सभा में हिन्दी में दिया था।
भारतमाता को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने हेतु हँसते हुए फाँसी के फंदे को चूमनेवाले अखंड भारत के भूखंड
शेख भिखारी साहब, वह व्यक्ति जिन्होंने जनरल डलहौजी के डाक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स का विरोध किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य
उन्नीसवीं सदी भारत में पुनर्जागरण की सदी मानी जाती है। खासतौर पर महाराष्ट्र और बंगाल में इस दौर में समाज
चंपारण में गांधीजी के आंदोलन से सरकार खुश नहीं थी। वह चाहती थी कि हर हाल में गांधीजी चंपारण
महात्मा गाँधी ने 1934 में प्रसिद्ध गायक दिलीप राय से बातचीत करते हुए कहा- जीवन समस्त कलाओं से श्रेष्ठ
घर से भागकर भगतसिंह कानपुर चले गये। वहाँ वे गणेशशंकर विद्यार्थी के साप्ताहिक ‘प्रताप’ के सम्पादकीय विभाग में काम
एम.ए. पास करने के बाद मेरे भविष्य का सवाल भी उठ खड़ा हुआ। मैं सिंध में नहीं रह सकता था।
राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964) भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री और महिलाओं के हित की निरंतर समर्थक थीं।
1916 का पूरा साल गांधी जी ने एक भारतीय किसान-मजदूर की वेश-भूषा में, उनकी ही तरह रेलगाड़ी के तीसरे दर्जे
औरत व आदमी भले ही एक दूसरे के पूरक हों लेकिन उनके स्वभाव में विरोधाभासों की कोई कमी नहीं
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के संघर्ष को रेडियो के नई तकनीक से जोड़ने वाली उषा मेहता अचानक इतिहास के पन्नों से
8 अगस्त 1942 को जब महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ की गर्जना करते हुए ‘करो या मरो’ का
देश की स्वतंत्रता के लिए कई क्रांतिकारी वीरों तथा नेताओं ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने स्वतंत्रता के आसमान
1918 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन बड़े समारोह के साथ हुई थी। 1907 में जब कांग्रेस में दो दल हो गए
आज ही के दिन 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद इलाहाबाद में पुलिस के साथ ही मुठभेड़ में शहीद
औपनिवेशिक दौर में भारतीय समाज में कमोबेश हर जातीय-धार्मिक समुदाय में महिलाओं के शिक्षा की एक जैसी ही स्थिति
अजीत सिंह भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे। वह शहीद सरदार भगत सिंह के चाचा थे। उन्होंने भारत में
मौलना आज़ाद खुद को मुस्लिम नेता कहलाना पसंद नहीं था आज़ाद को। आज़ाद बहुत बड़े राष्ट्रवादी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक
स्वामी श्रद्धानंद की हत्या अब्दुल राशिद नामक एक व्यक्ति ने की थी। बीमार श्रद्धानंद के सीने में दो गोलियाँ उतार
जलियावाला बाग़ हत्याकांड ने देशभर में लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा कर दिया था। 08
भगत सिंह एक सशस्त्र क्रान्ति द्वारा भारत में समाजवादी शासन स्थापित करना चाहते थे। गांधी अहिंसा और सत्याग्रह के
राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला की महारानी थीं, पर उन्होंने स्वयं को एक महारानी के तरह ज़ाहिर नहीं किया,
30 जनवरी 1948 … बापू के जीवन का आखिरी दिन! इस दिन के कई विवरण हमें मिलते हैं जिनमें
बीसवीं सदी के दूसरे दशक की सामाजिक, राजनैतिक और साहित्यिक गतिविधियों के बीच मिस मेयो कैथरीन की किताब ‘मदर इंडिया‘
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में बंद सुभाष चंद्र बोस की तबीयत फरवरी, 1932 में ख़राब होने लगी थी।
महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक संबंधों को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है, भारत के आज़ादी
गांधीजी 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे। उस समय वो 24 साल के थे, लेकिन जब भारत लौटे तो