क्या महात्मा गांधी ने मंदिर में नमाज़ पढ़ी थी?
महात्मा गांधी एक बात भलीभांति जानते थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू और मुसलमान दोनों को मिलकर लड़ाई
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महात्मा गांधी एक बात भलीभांति जानते थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू और मुसलमान दोनों को मिलकर लड़ाई
देश में तेजी से गहराते सांप्रदायिक विभाजन के संदर्भ में महात्मा गांधी के चिंतन और विचारों की अहमियत और
30 जनवरी 1948 … बापू के जीवन का आखिरी दिन! इस दिन के कई विवरण हमें मिलते हैं जिनमें
बीसवीं सदी के दूसरे दशक की सामाजिक, राजनैतिक और साहित्यिक गतिविधियों के बीच मिस मेयो कैथरीन की किताब ‘मदर इंडिया‘
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में बंद सुभाष चंद्र बोस की तबीयत फरवरी, 1932 में ख़राब होने लगी थी।
महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक संबंधों को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है, भारत के आज़ादी
गांधीजी 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे। उस समय वो 24 साल के थे, लेकिन जब भारत लौटे तो
भारत की समाजवादी राजनीति के प्रतिनिधि नेता मधु लिमये ने चार दशक तक देश की राजनीति को कई तरीकों से
भारतेंदु हरिश्चंद्र को केवल 34 साल की आयु मिली, इतने ही समय में उन्होंने गद्य से लेकर कविता, नाटक
गाय को लेकर दक्षिणपंथी बेहद संवेदनशील हैं। भारतीय समाज में गाय का एक अलग सम्मान भी है। सावरकर गाय की
सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के बारे में ऐसी कई बातें फैलाई जा रही हैं, जिनका
राष्ट्रगान जन गण मन जितना पुराना है, उस पर विवाद भी लगभग उतना ही पुराना है। क्या जन गण मन
कैसे हुई थी स्वामी श्रद्धानंद की हत्या? क्यों कहा था महात्मा गांधी ने उनके हत्यारे को भाई? स्वामी श्रद्धानन्द की
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव। गांधीजी मौलाना आजाद को इस पद पर देखना चाहते थे। आजाद ने जब नाम वापस
देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया। यद्यपि देश भर में क्रांतिकारी आंदोलन की व्यापक
वंदे मातरम को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। इसके स्रोत कहाँ हैं? आनंद मठ में क्या था? क्या
मैं हिन्दू होने के नाते पुनर्जन्म में आस्था रखता हूं। इसलिए मैं मरने नहीं, वरन् आज़ाद भारत में फिर से
अक्सर ये बात उठती रहती है कि पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू, देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल के
आज़ादी की लड़ाई में नेहरू के योगदान को लेकर अक्सर उठते हैं सवाल। उनके योगदान को रेखांकित करने के क्रम
आजादी के तुरंत बाद, भारत को दक्षिणपंथ की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। गृहमंत्री सरदार पटेल को आरएसएस से
आजादी से पहले और आजादी के बाद भारत के राजनीति में पंडित जवाहरलाल नेहरू वह नाम है जिसने भारत को
फक्कड़, बेबाक और बेखौफ अंदाज वाले महान शायर रघुपति सहाय अगर रघुपति सहाय नाम से आप वाकिफ नहीं हैं तो ‘फिराक गोरखपुरी‘ नाम
नाभा में पंडित नेहरू जब गिरफ्तार हुए थे, उस समय क्या-क्या घटनाएं हुई थी, नाभा पंजाब में एक छोटा सा
क्या जवाहर लाल नेहरू कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार थे? यह वाक्य भारत के आज़ादी के बाद से आज तक
भारतीय इतिहास में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक टंट्या भील की जांबाजी का अमिट अध्याय है। उन्होंने भारत की माटी
संसद में गृहमंत्री अमित शाह जी ने कह दिया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जिम्मेदार है पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) के
नेहरू की कहानी के तीसरे एपिसोड में हम बात करने जा रहे है कैसे हिंदुस्तान लौटने के बाद जवाहर लाल
इतिहास गवाह है कि युद्ध भूमि में सम्मान हमेशा उन सेना नायकों को मिलता है जो नेतृत्व करते है।
यतीन्द्रनाथ मुखर्जी ने युवावस्था में एक शाही बाघ से लड़कर और उसे मारकर बाघा जतिन की पदवी प्राप्त की थी।
नेहरू की कहानी के पहले एपिसोड में हमने उनके परिवार उनके पिता मोतीलाल नेहरू, उनके पिता की, कश्मीर से दिल्ली,
नेहरू जी की कहानी, जवाहरलाल नेहरू की कहानी, पंडित नेहरू की कहानी हमारे देश में शायद पंडित जवाहर लाल नेहरू
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के दौर में, जिस समय देश भर में मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
सुधीर विद्यार्थी भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के एक विशिष्ट शोधकर्ता हैं। चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह सहित अनेक क्रांतिकारियों पर उनकी बेहद
पंडित नेहरू देश के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा
व्यक्तिगत सत्याग्रह 1941 से लेकर 1942 तक चला। 17 अक्टूबर 1940 को महात्मा गांधी ने जिसकी शुरुआत की थी। यह