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Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources

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Thursday November 21, 2024

रूपा भवानी : कश्मीर के मर्दाने इतिहास में फेमिनिन हस्तक्षेप

दुर्भाग्य है कि इतिहास अक्सर मर्दों का इतिहास बनकर रह जाता है। इसमें औरतों की भागीदारी के निशानात कहीं दर्ज़

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उलगुलान करने वाले सुरेन्द्र साए

सुरेन्द्र साए भारत के अग्रणी स्वाधीनता संग्राम सेनानी थे। 1857  के विद्रोह के 30 वर्ष पूर्व ही उन्होने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध ‘उलगुलान’ (आन्दोलन)

‘वंशवादी’ नेहरू ने इंदिरा को नहीं, सरदार पटेल की बेटी-बेटे को संसद भेजा था !

प्रो भानु कपिल  नरेंद्र मोदी की बीजेपी को इसके लिए धन्यवाद ज़रूर देना चाहिए कि उसने इतिहास में लोगों की

क्यों मनाही थी, गोलमेज यात्रा में गांधीजी के स्वागत में राष्ट्रीय झंडे रखने की

गांधी-इर्विन समझौते के बाद, महात्मा गांधी राष्ट्रीय महासभा (कांग्रेस) द्वारा एकमात्र प्रतिनिधि निर्वाचित होकर गोलमेज-परिषद में सम्मिलित होने इंग्लैड गये

इंजीनियर की नौकरी छोड़ क्रांतिकारी बने,मोहम्मद अली खान

इंजीनियर मोहम्मद अली खान की स्मृति अतीत के गर्भ में खो गई है, परन्तु उनका बलिदान नि: संदेह अभूतपूर्व था।कभी

वतन पर अंग्रेजी हकूमत बर्दास्त नहीं करने वाले मौलाना फ़जले हक़ ख़ैराबादी

मौलाना फ़जले हक़ ख़ैराबादी अपने ज़माने के एक बड़े रईस थे और बड़े आलिम थे। अरबी के शायर थे और

महारानी लक्ष्मी बाई के वफ़ादार पठान स्वतंत्रता सेनानी

भारत में अधिकांशत: ऐसे ही आज़ादी के मतवाले सफल रहे हैं, जिन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के नेतृत्व में भेद-भाव की

रूहेलखंड को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने वाले 70 साल के ख़ान बहादुर ख़ां

1857 में क्रांति की ज्वाला ने समूचे भारतवर्ष को झकझोर दिया था। उस समय ख़ान बहादुर ख़ां रुहेलखंड क्षेत्र के

नवाब वलीदाद ख़ान, जिन्होंने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए

मालागढ़ के नवाब वलीदादख़ान  क्रांति के उग्रतम नेताओं में से एक थे। वह दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह जफ़र के सम्बन्धी

देश के आज़ादी के लिए फांसी का फंदा चूमने वाले, नवाब नूर समद ख़ान

वर्तमान हरिणाया के समस्त क्षेत्र को 1857 की क्रांति की लहर ने झकझोर दिया था। 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी

नाटकों में रचनात्मक नवीनता और धार्मिक आंडबरों से संघर्ष करने वाले हबीब तनवीर

लोक संस्कृति और संस्कार किसी भी इंसान को हज़ारों में विशिष्ट बनाते हैं। लोक में जो कुछ भी व्याप्त  है,

अंग्रेज़ों और ज़मींदारों के विरूद्ध शमशेर ग़ाज़ी का विद्रोह

त्रिपुरा के शमशेर ग़ाज़ी का विद्रोह किसानों का संगठित विद्रोह था जिसका चरित्र सन्यासी विद्रोह से बिल्कुल अलग था। किसानों

कौन थे, 1857 क्रांति के प्रथम आदिवासी शहीद वीर नारायण सिंह

भारत का स्वतंत्रता आन्दोलन एक ऐसा जन आन्दोलन था जो जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे उसकी शक्ति बढ़ती गई थी। यह

किताबें बेचने वाले क्रान्तिकारी शहीद पीर अली खां

हिन्दुस्तान के पहले स्वतंत्रता संग्राम में न जाने कितने ही आज़ादी के मतवाले सूरमा हुए जिनकी बलिदानों से आज़ादी की

रियासती एकता में पंडित नेहरू का योगदान

[शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला (1905-1981) जिन्हें शेर-ए-काश्मीर भी कहा जाता है, कश्मीर के सबसे महत्त्वपूर्ण नेताओं में थे। आज़ादी के बाद

स्वदेशी के लिए शहादत देने वाले बाबू गैनू सय्यद को भूल गया देश

अंग्रेज़ी शासन का इतिहास भारत की लूट का इतिहास भी है। इंग्लैड में चलने वाली फैक्ट्रियों का उत्पादन बढ़ाने के

गांधी ने क्यों कहा था, नेहरू ही होगा मेरा उत्तराधिकारी

जवाहर ही मेरा उत्तराधिकारी होगा- महात्मा गांधी [ इस भाषण की पृष्ठभूमि में कांग्रेस वर्किंग कमेटी का वह प्रस्ताव है

भगवती चरन वोहरा को गुप्तचर विभाग का आदमी क्यों समझा जाता था

क्रांतिकारी विचारक, संगठनकर्ता, वक्ता, प्रचारक आदि के रूप में भगवती चरन अक्सर याद किए जाते है।इसके साथ-साथ आदर्श के प्रति

करतार सिंह सराभा जिनसे भगत सिंह ने इंक़लाब की प्रेरणा ली

आज़ादी के आन्दोलन में कई युवा क्रांतिकारी हुए जिनका जीवन काफी छोटा था लेकिन इस छोटे से जीवन में उन्होंने

शहीद शेर अली आफ़रीदी जिनको दो बार फांसी की सजा दी गई

हिन्दुस्तान की आज़ादी के लिए ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के नाम मशहूर हैं, जिनके नेतृत्व में हज़ारों देशवासियों ने जंगे आज़ादी

अल्बर्ट आइंस्टीन और महात्मा गांधी अल्बर्ट आइंस्टीन का पंडित नेहरू को पत्र आजादी के दीवाने शिवराम हरि राजगुरु उत्तरदायित्व के भार के कारण जवाहरलाल को बड़ी तेजी के साथ बूढ़े होते देखा है- सरदार पटेल उषा मेहता:जिन्होंने रेडियो को आज़ादी का हथियार बनाया