नेशनल कॉलेज में भगत सिंह के कॉलेज के दिन
भगत सिंह के समकालीन साथी, जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं थी, जैसे सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, यशपाल, जयदेव गुप्ता
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भगत सिंह के समकालीन साथी, जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं थी, जैसे सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, यशपाल, जयदेव गुप्ता
जब अंग्रेजों ने दिल्ली स्थित सेंट्रल असेंबली में ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ पास करवा चुकी थी और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ पर
1919 के जालियँवाला बाग हत्याकाण्ड के बाद ब्रिटिश सरकार ने साम्प्रदायिक दंगों का खूब प्रचार शुरु किया। इसके असर से
हम युद्धबंदी हैं फाँसी पर लटकाए जाने से 3 दिन पूर्व- 20 मार्च, 1931 को- सरदार भगतसिंह तथा उनके सहयोगियों
शहीद भगत सिंह ने महज 23 साल की उम्र में देश के लिए अपनी कुर्बानी दी थी भगत सिंह के
भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन में जो देशभक्त शहीद हुए उन्हें तो इतिहास ने धरोहर की तरह संभाल लिया लेकिन जो
घर से भागकर भगतसिंह कानपुर चले गये। वहाँ वे गणेशशंकर विद्यार्थी के साप्ताहिक ‘प्रताप’ के सम्पादकीय विभाग में काम
आज ही के दिन 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद इलाहाबाद में पुलिस के साथ ही मुठभेड़ में शहीद
अजीत सिंह भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे। वह शहीद सरदार भगत सिंह के चाचा थे। उन्होंने भारत में
सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के बारे में ऐसी कई बातें फैलाई जा रही हैं, जिनका
सुधीर विद्यार्थी भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के एक विशिष्ट शोधकर्ता हैं। चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह सहित अनेक क्रांतिकारियों पर उनकी बेहद
आज जयदेव कपूर का जन्म दिवस है, उनका ज न्म आज के ही दिन 24 अक्टूबए 1908 को आर्यसमाजी परिवार
भगत सिंह भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के पहले नेता थे जिन्होंने सांप्रदायिकता के साथ-साथ जाति के मसले पर गंभीर हस्तक्षेप किया।
हिन्दुस्तान की आज़ादी के अज़ीम रहनुमा रईस उल अहरार मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी ने ‘इस्लाम ख़तरे में है’ के नारे के
भगत सिंह हमारी राष्ट्रीय चेतना में कितने गहरे बसे हैं इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि
Kangana Ranaut had once again made some naïve claims. The myth of Bhagat Singh execution has been already debunked. Now
भगत सिंह जब ज़िंदा थे तो ब्रिटिश सरकार ने उनपर हत्या और राजद्रोह का अभियोग चलाया। अँग्रेज़ी साम्राज्य के
[आज़ादी की लड़ाई सिर्फ़ कुछ नायकों की नहीं। महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़ के भागीदारी की थी। ऐसी ही एक नायिका
यह बहस उस दौर से आजतक चलती आ रही है कि गांधी ने भगत सिंह को फाँसी से बचाने
प्रिय साथियों आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। हम सब के लिए, इस देश के लिए उत्सव का एक
[भगत सिंह और उनके साथियों के पक्ष में मुक़दमा लड़ने वाले लोगों को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। पढ़िए
[8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली में बम फेंकने के साथ एक पर्चा भी फेंका
[अमृतसर में अप्रैल 1928 में हुए सम्मेलन के लिए तैयार किया गया नौजवान भारत सभा का घोषणा पत्र] नौजवान साथियो,
क्रांतिकारी आंदोलन में भगत सिंह पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने जाति के सवाल पर गंभीरता से बात की थी। उनका