पटना का अफीम और चीन का कुख्यात अफीम युद्ध
सन 1541 ई. में जब शेरशाह पटना के सामरिक महत्व को समझते हुए यहां किले का निर्माण करवा रहा था
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सन 1541 ई. में जब शेरशाह पटना के सामरिक महत्व को समझते हुए यहां किले का निर्माण करवा रहा था
सत्यम सत्येन्द्र पाण्डेय आठ घंटे काम,आठ घंटे मनोरंजन और आठ घंटे आराम औद्योगिक पूंजीवादी क्रांति ने सामंतवादी उत्पादन संबंधों को
1 जुलाई, 1946 को बिकनी द्वीप समूह पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अणुबम का परीक्षण करने पर नेहरू का बयान
भारतीय कला में नवजागरण मुहिम छेड़ने वाली : कमला देवी चट्टोपाध्याय कल 3 अप्रैल को कमला देवी चट्टोपाध्याय का जन्मदिन
आज जब यूरोप सहित दुनियाभर में में चरम दक्षिणपंथ के उभार की संभावनाएँ दिख रही हैं, एक बार फिर हिटलर
कौल-ए-फ़ैसल (इंसाफ़ की बात) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का वह बयान है जो राजद्रोह के मुक़दमे के दौरान उन्होंने प्रेसीडेंसी
श्रीलंका गृहयुद्ध के कगार पर है। राष्ट्रपति गोटाबाया देश छोड़ चुके हैं या छोड़ने वाले हैं। उन्हें किस देश में
बीसवीं सदी की शुरुआत ने बेहद सुंदर नज़ारा देखा जब राजनीतिक परिदृश्य में स्त्रियों का बड़ी संख्या में प्रवेश
रासबिहारी बोस ब्रिटिश शिकंजे से बचने के लिए 1915 में जापान चले गए और फिर वहीं रह गए। विदेशी धरती
सावित्रीबाई का जन्म 1831 में हुआ और 9 वर्ष की उम्र में ही 1840 में 13 वर्षीय जोतिबा फुले से
[सावरकर समग्र के खंड 7 में विनायक दामोदर सावरकर के गाय सम्बन्धी दो लेख मिलते हैं जिनमें उनके गाय, गोमूत्र
चालीस करोड़ों की आवाज़ सहगल-ढिल्लन-शाहनवाज़ दिल्ली के लाल क़िले में जब आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के जाँबाज सिपाहियों पर अंग्रेज़ी
[1857 के बाद जब विद्रोहियों से हिन्दुस्तानी जेलें भर गईं तो पहली बार क्रांतिकारियों को अंडमान भेजा गया। तब सेल्यूलर
जेल में 63 दिनों तक अनशन के बाद जतिन दास शहीद हुए तो उनकी उम्र केवल 24 साल थी। ब्रिटिश
ओम थानवी एस. एन. सुब्बराव नहीं रहे। जयपुर में आज उन्होंने आख़िरी साँस ली। गांधीजी के वे चलते-फिरते दूत थे।
आज गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती है. गणेश शंकर विद्यार्थी यानी सच के पक्ष में खड़ा निर्भीक पत्रकार. 1920
[There are numerous forgotten Heroes who made our History. Kanupriya is remembering one such Hero : Peer Ali Khan.] #जिन्होंनेमाफ़ीनहींमांगी
स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या 23 दिसम्बर 1926 को दिल्ली में हुई थी। उसके बाद गाँधी जी का स्वामी श्रद्धानन्द जी
विशी सिन्हा बता रहे हैं कि ओलिम्पिक में भारतीय हॉकी के पहले कप्तान जयपाल मुंडा ने क्यों छोड़ दी कप्तानी