FACT CHECK: क्या गांधीजी को अंग्रेजों से मिलता था भत्ता?
सोशल मीडिया पर एक पत्र शेयर किया जाता है जिसमें गांधीजी को 1930 में निजी खर्चों के लिए अंग्रेजों से
Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources
Editorial Address : 123 Kirpal Apartment, 44 IP Extension, Patparganj, Delhi -110092
N/A
सोशल मीडिया पर एक पत्र शेयर किया जाता है जिसमें गांधीजी को 1930 में निजी खर्चों के लिए अंग्रेजों से
यह वह दौर था जब चंद्रशेखर आज़ाद और उनके साथी ‘हिन्दुस्ताव प्रजातान्त्रिक समाजवादी दल’ की स्थापना कर चुके थे और
वतन की आज़ादी के सिपाहियों की न तो आयु की कोई सीमा थी और न धर्म का कोई बंधन। आज़ादी
शांतीमोय रे ने अपनी किताब ‘Freedom Movement and Indian Muslims‘ में इस पर विस्तार से लिखा है। प्रस्तुत है
; अंबेडकर साहब संविधान सभा में बंगाल से क्यों गए? अभी हाल में ही एक टीवी डिबेट में यह
[द्वितीय विश्वयुद्ध में कांग्रेस ने नारा दिया था – अंग्रेजों भारत छोड़ो। पढिए उनकी जीवन की प्रेरक कथा।] द्वितीय विश्वयुद्ध
नेहरू सोच रहे हैं। आज गुरुवार को अख़बार (TOI) में एक जबर्दस्त तस्वीर छपी। हो सकता है अनजाने में छप
22 अगस्त 1948 को हैदराबाद में एक खौफनाक मंज़र पेश आया। शहर के इलाके लिंगमपल्ली के पास उर्दू अखबार इमरोज़
6 अप्रैल, 1919 को Rowlatt Act के खिलाफ़ पूरे भारत में विरोध की कॉल दी गई थी। दिल्ली और
Freedom came to India at a price and when talked about the freedom struggle only a few names make to
[गोवा मुक्ति दिवस पर पढ़िए इसके एक नायक सेनापति बापट की दिलचस्प और प्रेरणादायी कथा] 18 मई 1955 को
[इस लेख के साथ वेबसाइट को बहुभाषी बनाने के अपने संकल्प की हम शुरुआत कर रहे हैं। हिन्दी में प्रकाशित
Read it In Hindi — Jawaharlal Nehru famously called himself a “dabbler in many things” which explains why he should
जब स्त्रियों के संदर्भ में भारत के गौरवशाली अतीत की बातें होती हैं और मनुस्मृति से उद्धरण दिया जाता है-
आरोप : सोशल मीडिया पर यह बात भी गाहे बगाहे कही जाती है कि जवाहरलाल नेहरू को किसी नियमित जेल
आज गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती है. गणेश शंकर विद्यार्थी यानी सच के पक्ष में खड़ा निर्भीक पत्रकार. 1920
निर्देशक शुजीत सरकार अपने सिनेमा में यथार्थ और ड्रामा को एक चौराहे पर लाकर खड़ा कर देते हैं जहां वे
1925 में कलकत्ता में जन्म। चैंपियन एथलीट जिन्हें 1940 में फ़िनलैंड में होने वाले ओलिंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व
[There are numerous forgotten Heroes who made our History. Kanupriya is remembering one such Hero : Peer Ali Khan.] #जिन्होंनेमाफ़ीनहींमांगी
हंगामाखेज रहे पिछले कुछ दिन। पहले किसान आंदोलन के बीच एक दलित की बर्बर हत्या और फिर सावरकर को लेकर
[अयोध्या सिंह की किताब ‘भारत का मुक्ति संग्राम‘ ब्रिटिश सत्ता के ख़िलाफ़ भारतीय जनता के संघर्ष का एक शानदार
[आज़ादी की लड़ाई सिर्फ़ कुछ नायकों की नहीं। महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़ के भागीदारी की थी। ऐसी ही एक नायिका
स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या 23 दिसम्बर 1926 को दिल्ली में हुई थी। उसके बाद गाँधी जी का स्वामी श्रद्धानन्द जी
यह बहस उस दौर से आजतक चलती आ रही है कि गांधी ने भगत सिंह को फाँसी से बचाने
[ Omkar is a young student, inclined towards Gandhian thought. This is his very first article. We welcome all such
जिस दिन अखबार के पूरे पहले पन्ने पर देश की आज़ादी की ख़बर छपी थी आज़ादी की, राष्ट्रपिता
[यह सन्देश 16 दिसम्बर, 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल से यह सन्देश 16 दिसम्बर, 1927 को फ़ैज़ाबाद जेल से देशवासियों के
[अंग्रेजी सत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह का बिगुल बजाने वाले आदि क्रांतिकारी तिलका माझी की कहानी] अंग्रेज़ों की लूट और बाबा
[भगत सिंह और उनके साथियों के पक्ष में मुक़दमा लड़ने वाले लोगों को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। पढ़िए
सोशल मीडिया में अकसर ऐसी पोस्ट्स दिख जाती हैं जिसमें शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की हत्या के लिए जवाहरलाल नेहरू पर
[8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने असेंबली में बम फेंकने के साथ एक पर्चा भी फेंका
[अमृतसर में अप्रैल 1928 में हुए सम्मेलन के लिए तैयार किया गया नौजवान भारत सभा का घोषणा पत्र] नौजवान साथियो,
क्रांतिकारी आंदोलन में भगत सिंह पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने जाति के सवाल पर गंभीरता से बात की थी। उनका