पूर्व और पश्चिम के विचारों का संगम थे पंडित नेहरू — फ्रैंक मोरैस
पंडित नेहरू के जीवन का सर्वोत्तम काल वह था, जब वे भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में संलग्न थे। स्वतंत्रता-पूर्व
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पंडित नेहरू के जीवन का सर्वोत्तम काल वह था, जब वे भारत की स्वाधीनता के संघर्ष में संलग्न थे। स्वतंत्रता-पूर्व
भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के समान, इस देश के स्वतंत्रता संग्राम के भी विविध स्वरूप रहे हैं। भारत के वनीय
बिजोलिया के किसान सत्याग्रह ने राजस्थान में पहली बार जनचेतना की अलख जगाई और लंबे संघर्ष के बाद सफलता पाई।
खिलाफत आंदोलन का पहला केंद्र भारत था; यह न केवल मुसलमानों का, बल्कि पूरे भारतीय समाज का मुद्दा बन गया।
सोशल मीडिया पर एक पत्र शेयर किया जाता है जिसमें गांधीजी को 1930 में निजी खर्चों के लिए अंग्रेजों से
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधीजी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ दी थी । आंदोलन का नाम था
महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बीच मूल्यों और मानदंडों की एक गहरी एकता थी। दोनों के बीच वफादारी और
26 नवंबर 1938 के हरिजन में “The Jews” शीर्षक महात्मा गांधी के लेख पर जबरदस्त विवाद हुआ था। एक वर्ग
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व न केवल उनकी सादगी और विनम्रता से परिभाषित था, बल्कि उनके आत्मबल और अटूट सिद्धांतों से
महात्मा गांधी स्वास्थ्य के समस्या से हमेशा जूझते रहे। जैसे प्लूरिसी (1914), तीव्र पेचिश (1918 और 1929 में दो बार),
नवंबर 1935 में, जब मार्गरेट सैंगर बंबई पहुँचीं, तो उनका स्वागत उनके जनसख्या नियंत्रण के लिए अमेरिका में किए गए
शिवकुमार मिश्र द्वारा सम्पादित अंग्रेजी पुस्तक ‘आवर कंटम्परोरी प्रेमचन्द’ के लिए यह टिप्पणी फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने विशेष तौर
एक अछूत परिवार ने साबरमती आश्रम में स्थायी रूप से रहने की इच्छा प्रकट की । गांधीजी ने उन्हें
मगफूर ऐजाज़ी भारत की आज़ादी के लिए लड़ने वालों में से एक थे, इसके अलावा उन्होंने आज़ादी के बाद के
माँ भारती को अंग्रेजी सत्ता की बेड़ियों से मुक्त करवाने में आदिवासियों ने अपना सर्वस्व लौटा दिया था ऐसे
1919 में रॉलेट एक्ट के विरोध में, पूरे देश में व्याप्त असंतोष का परिणाम यह हुआ कि भारत की
17 साल का एक लड़का 4 रुपये महीने की तनख्वाह पर पूना में अंग्रेजों के एक क्रिकेट क्लब में माली
भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के देशभक्तों और वीरों की पंक्ति में मौलाना अबुल कलाम आजाद का एक विशिष्ट स्थान है। मौलाना
महात्मा गांधी अप्रैल 1919 से पहले तक अंग्रेज सल्तनत के वफादार के तौर पर जाने जाते थे। लेकिन जलियांवाला बाग
रिचर्ड एटनबरो एक शिक्षक ( कॉलेज प्रिंसिपल) के पुत्र थे। वह अभिनेता भी थे, फ़िल्म निर्देशक भी। उनकी चरम
अकसर ऐसा होता है कि जो इतिहास रचता है, उसका इतिहास में नाम नहीं होता, लेकिन जो इतिहास रचता है
एक व्यक्ति जिसने अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए 500 की सेना बनाई, हाइपो जादोनांग को लेखकों और इतिहासकारों ने
चंपारण में गांधीजी के आंदोलन से सरकार खुश नहीं थी। वह चाहती थी कि हर हाल में गांधीजी चंपारण
एम.ए. पास करने के बाद मेरे भविष्य का सवाल भी उठ खड़ा हुआ। मैं सिंध में नहीं रह सकता था।
1916 का पूरा साल गांधी जी ने एक भारतीय किसान-मजदूर की वेश-भूषा में, उनकी ही तरह रेलगाड़ी के तीसरे दर्जे
1918 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन बड़े समारोह के साथ हुई थी। 1907 में जब कांग्रेस में दो दल हो गए
मौलना आज़ाद खुद को मुस्लिम नेता कहलाना पसंद नहीं था आज़ाद को। आज़ाद बहुत बड़े राष्ट्रवादी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक
स्वामी श्रद्धानंद की हत्या अब्दुल राशिद नामक एक व्यक्ति ने की थी। बीमार श्रद्धानंद के सीने में दो गोलियाँ उतार
टाटा स्टील और जमशेदपुर शहर भारत के कई नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की यात्राओं का एक नियमित पड़ाव रहा
गांधी जी का रिश्ता. और सरोजिनी नायडू एक आदर्श गुरु शिष्या के रूप में विकसित हुईं-एक गुरु जिसमें अपने
जलियावाला बाग़ हत्याकांड ने देशभर में लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा कर दिया था। 08
महात्मा गांधी एक बात भलीभांति जानते थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू और मुसलमान दोनों को मिलकर लड़ाई
देश में तेजी से गहराते सांप्रदायिक विभाजन के संदर्भ में महात्मा गांधी के चिंतन और विचारों की अहमियत और
30 जनवरी 1948 … बापू के जीवन का आखिरी दिन! इस दिन के कई विवरण हमें मिलते हैं जिनमें
महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक संबंधों को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है, भारत के आज़ादी