आदिवासी स्वाभिमान और स्वाधीनता संग्राम के महानायक, भीमा नायक
भारत में स्वाधीनता संघर्ष का अंकुर वनों और पर्वतों में रहने वाले आदिवासियों के बीच ही अंकुरित हुआ। इन आदिवासियों
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भारत में स्वाधीनता संघर्ष का अंकुर वनों और पर्वतों में रहने वाले आदिवासियों के बीच ही अंकुरित हुआ। इन आदिवासियों
मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (1929-1968) अमेरिका में नागरिक आन्दोलन और सिविल नाफ़रमानी की गांधीयन विधियों को अपने आन्दोलन का (1955
अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का शहर में हुआ। उनका असल नाम मुहिउद्दीन अहमद था मगर उनके पिता
3 सितंबर 1857 को ब्रिटिश सेना ने बिठूर में नाना साहब पेशवा की 13 वर्षीय दत्तक पुत्री, मैना कुमारी को
कोल विद्रोह 1831 और 1832 के बीच झारखंड के छोटा नागपुर क्षेत्र के आदिवासी कोल लोगों का आंदोलन था। यह
औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के खिलाफ अनेक क्रांतिकारी देशभक्तों ने अपनी जान कुर्बान की, लेकिन उनमें से कई, जिन्होंने अत्याचारी अंग्रेजों,
भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के समान, इस देश के स्वतंत्रता संग्राम के भी विविध स्वरूप रहे हैं। भारत के वनीय
फरवरी में जेल से रिहा होने के बाद, गांधीजी ने एझावा नेता टी.के. माधवन और नई शुरू की गई मातृभूमि
भगत सिंह के समकालीन साथी, जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं थी, जैसे सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, यशपाल, जयदेव गुप्ता
जब अंग्रेजों ने दिल्ली स्थित सेंट्रल असेंबली में ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ पास करवा चुकी थी और ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ पर
शूरवीर पसालथा खुआंगचेरा मिजोरम के सबसे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। वे इस क्षेत्र के रक्षकों में से
भारत के स्वाधीनता संग्राम में अभूतपूर्व पैमाने पर महिलाओं की सामूहिक भागीदारी देखी गई, लेकिन दुर्भाग्य से, उनमें से कई
चारु चंद्र बोस जिन्होंने अपने दोषपूर्ण दाहिने हाथ के बावजूद उसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल किया और भारत की
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधीजी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ दी थी । आंदोलन का नाम था
महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बीच मूल्यों और मानदंडों की एक गहरी एकता थी। दोनों के बीच वफादारी और
कूका आंदोलन का जन्म 19वीं शताब्दी में पंजाब में हुआ था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में ‘कूका विद्रोह’
जब चंद्रशेखर आज़ाद बम्बई में थे, तब वह अपने क्रांतिकारी जीवन के एक महत्वपूर्ण और संघर्षपूर्ण दौर से गुजर रहे
26 नवंबर 1938 के हरिजन में “The Jews” शीर्षक महात्मा गांधी के लेख पर जबरदस्त विवाद हुआ था। एक वर्ग
पटना एक प्राचीन शहर। अवंति के आक्रमण के डर से मगध के राजा आजातशत्रु ने गंगा और सोन के संगम
1931 में महात्मा गांधी को इंग्लैंड में गोलमेज परिषद के लिए बुलाया गया और उनकी कोई बात नहीं सुनी गई
शहीद भगत सिंह ने महज 23 साल की उम्र में देश के लिए अपनी कुर्बानी दी थी भगत सिंह के
हरिगोपाल बाल या बाउल जिन्हें लोकप्रिय रूप से टेगरा कहा जाता है एक बंगाली क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों
असनुल्ला खान, एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी थे, जो भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को क्रूरता से सताने के लिए जाने जाते थे।
नीलांबर-पीतांबर ने अपनी वीरता से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। पराक्रमी और गुरिल्ला युद्ध में माहिर इन भाइयों के
मुजफ्फरपुर में जून के महीने से ही सरगर्मी शुरू हो गई थी। यूरोपियन प्लांटर आतंकित हो गए थे और उनके
बुधु भगत को झारखंड के आदिवासी समाज में एक नायक के रूप में याद किया जाता है, और उनकी बहादुरी
गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ (1917–1964) हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक और कथाकार थे। वह प्रगतिशील लेखक आंदोलन के अग्रणी
मुस्लिम जगत में सैयदा मुहम्मदी बेगम को महिला सशक्तिकरण और भारतीय उपमहाद्वीप की पहली महिला पत्रकार के तौर पर जाना
एक अछूत परिवार ने साबरमती आश्रम में स्थायी रूप से रहने की इच्छा प्रकट की । गांधीजी ने उन्हें
रायबरेली से 10 किलोमीटर दूर पड़ता है मुंशीगंज इलाका। इसके किनारे पर बहती सई नदी यूं तो शांत रहती
1919 में रॉलेट एक्ट के विरोध में, पूरे देश में व्याप्त असंतोष का परिणाम यह हुआ कि भारत की
भारत कृषक देश है। भारत की 75 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, खेतिहर है और शेष चौथाई जन
भारत के बहादुर नौजवानों में ब्रिगेडियर उस्मान का स्थान बहुत ऊँचा है। नौशहरा के इस बहादुर विजयी का नाम
भारत में जारी आम चुनाव के दरमियान अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल
अकसर ऐसा होता है कि जो इतिहास रचता है, उसका इतिहास में नाम नहीं होता, लेकिन जो इतिहास रचता है